एआईएमआईएम के बिहार प्रमुख अख्तरुल ईमान पटना:तरक्की के नाम पर तमाम दलों ने अकलियतों और दलितों को धोखा (Cheating on minorities and Dalits) दिया है. हमें शरबत में जहर मिला कर दिया गया है. हमारी पार्टी अब अपने दम पर खड़ी होगी और गांव-गांव तक हम अपने संदेश को पहुंचाएंगे. यह कहना है कि एआईएमआईएम के बिहार प्रमुख अख्तरुल इमान (AIMIM State President Akhtarul Iman) का. बुधवार को पटना में ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए अख्तरुल ईमान ने कई बातों पर अपनी राय रखी. इस दौरान उन्होंने राज्य की तमाम पार्टियों पर हमला किया. वहीं बिहार में अपराध के ताजा हालात पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि सिपाही से चोर को डर लगता है.
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प्रश्नः क्या पार्टी की तरफ से शुरू किए गए सदस्यता अभियान के लिए कोई टारगेट भी तय किया गया है ?
अख्तरुल इमानः हम लाखों की तादाद में मैदान में निकले हैं. हम बड़ी तादाद में है. अपना मेंबर बनाएंगे. हम टारगेट पर नहीं बल्कि टारगेट से आगे निकलना चाहते हैं. हमारे लोगों में जोश है. जिस दिन से हमारे चार विधायकों को तोड़ा गया है, उस दिन से अल्पसंख्यकों के दिमाग में यह अफसोस है कि 75 सालों के बाद भी अल्पसंख्यक लीडरशिप उभर कर सामने नहीं आ पाया है.
प्रश्नः दूसरे राज्यों में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को कितना सपोर्ट मिला? क्या उसके बाद आपकी पार्टी कुछ अलग से तैयारी कर रही है?
अख्तरुल इमानः हम अपने मेंबर को तैयार कर रहे हैं यानी अपने संदेश को गांव-गांव तक पहुंचाने की तैयारी में हैं. हम अटैक नहीं करना चाहते हैं. सिस्टम की खराबी को सामने लाना चाहते हैं. जातीय तौर पर हम किसी को अपना दुश्मन नहीं समझते हैं. लेकिन जो लोग अकलियततों, दलितों और पिछड़ों का नाम लेकर शोषण करते रहते हैं, वैसे लोगों का भंडाफोड़ तो करेंगे. इन लोगों ने दलितों, अकलियतों का वोट लिया लेकिन उनको दिया क्या? अगर उनको हिम्मत है तो श्वेत पत्र जारी करें कि क्या-क्या नहीं ठगा गया है? वोट हमारे लिए गए. पूरे बिहार में अल्पसंख्यकों की आबादी 18% है. क्या बिहार में 6% चपरासी भी अकलियत हैं? पिछले 17 सालों में जो बहालिया हुई हैं. पिछले दिनों में 15 सालों में जो बहालिया हुई हैं, चाहे जिस क्षेत्र में बहाली हो. क्या पांच या छह प्रतिशत की भी हिस्सेदारी मिली है? आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है? इसके लिए आवाज उठा रहे हैं और उनके पास कोई जवाब नहीं है कि वह दे पाएं. अगर हिम्मत है तो श्वेत पत्र जारी करें.
प्रश्नः आपने कहा कि शरबत में जहर मिलाकर पिलायेगा तो उसका विरोध करेंगे, आपका इशारा किस पार्टी की तरफ है?
अख्तरुल इमान: यह समझने वालों के लिए काफी है. जिन लोगों के हाथों में कयादत रही और जिन लोगों ने एमवाई-समीकरण की बात की. जिन लोगों ने सामाजिक इंसाफ की बात की. तरक्की का दावा पेश किया. अभी जदयू के लोग कहते हैं कि हम बीजेपी के साथ भले ही रहें लेकिन बीजेपी के एजेंडे को सफल नहीं होने दिए. उनका यह भी कहना था कि बीजेपी का एजेंडा केवल गर्दन काटना नहीं है. आप बीजेपी के दबाव में रहें. उर्दू के मसलों को आज तक हल नहीं किया गया. उर्दू के 80 हजार शिक्षकों के जगह खाली है. आपने उस पर बहाली नहीं होने दिया. 12 हजार टीचर डंडे खा रहे हैं. 50 नंबर में हिंदी वालों को पास कर दिया. 60 नंबर उर्दू वालों के लिए रख दिया. उर्दू डायरेक्टरेट का बुरा हाल कर रखा है. आप कर क्या रहे हैं? बीजेपी गर्दन काट देती है. आप शरबत में जहर मिलाकर पिला रहे हैं. दो-टोपी वाले को बाजू में बैठा लेते हैं और अकलियतों के तमाम फैसले किए जाते हैं. इस धोखे से हमारे नौजवान अब बाहर आ गए हैं.
प्रश्नः 2024 और 2025 दोनों बहुत नजदीक है. क्या उनकी पार्टी के दरवाजे खुले रहेंगे?
अख्तरुल इमान: फिरकापरस्त ताकत से हमें नफरत है. फिरका परस्ती से अलग होकर कोई राजनीति करना चाहता है तो हम उनके साथ काम करेंगे. लेकिन कुछ लोगों को चिढ़ है कि अकलियतों का वोट लेंगे, अकलियतों की आवाज को उठाने नहीं देंगे. ऐसे लोग हमें दबा रहे हैं.
प्रश्नः बार-बार यह आरोप लगता है कि आप बीजेपी की बी टीम हैं. ऐसे आरोप आप पर क्यों लगते हैं?
अख्तरुल इमान: सिपाही से चोर को डर लगता है. जिन लोगों ने अकलियतों को दबाया है, उनको खौफ सता रहा है. इसलिए इस तरह के जुमले निकल रहे हैं.