पटना:बिहार विधानसभा (Bihar Legislative Assembly) के मानसून सत्र (Monsoon Session) में आज उर्दू (Urdu) की उपेक्षा का मामला उठाया गया. इस मुद्दे पर एआईएमआईएम (All India Majlis e Ittehadul Muslimeen) ने सरकार (Nitish Government) को घेरा और कहा कि कि उर्दू को दोयम दर्जा दिया जा रहा है.
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एआईएमआईएम के सदस्यों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उर्दू की जितनी भी संस्थान हैं सब में पद रिक्त हैं. शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं. उर्दू ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उसके बावजूद इस तरह का व्यवहार उर्दू के साथ किया जा रहा है.
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमाम ने सरकार से खाली पड़े पदों को शीघ्र भरने की मांग की. दूसरी तरफ आरजेडी के सदस्यों ने भी पोस्टर लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
'बिहार सरकार ने उर्दू को दूसरी सरकारी जबान की हैसियत दी है. उर्दू गंगा जमुनी तहजीब की जबान है. उर्दू ने देश की आजादी में बड़ा रोल अदा किया है. लेकिन आज उर्दू के जितने भी संस्थान हैं वो विकलांग हो चुके हैं. हम किसी नई चीज की मांग नहीं कर रहे हैं. जो चीज पहले से है जहां जगह खाली है आखिर वहां बहाली क्यों नहीं की जा रही है. ये उर्दू से खुली दुश्मनी है हम इसके बारे में सरकार को सचेत करना चाहते हैं.'-अख्तरुल इमाम, विधायक, एआईएमआईएम
एआईएमआईएम के सदस्यों ने बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया गया था कि उर्दू शिक्षकों के पद खाली हैं. लेकिन सरकार नियुक्ति नहीं कर रही है. आज एक बार फिर इसे लेकर हंगामा किया गया.
माले (Male) के सदस्यों ने भी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए गरीब विरोधी बताया और स्वास्थ्य मंत्री (Health Minister) से इस्तीफे की मांग भी की. माले के सदस्यों ने सदन के बाहर और सदन के अंदर भी गरीबों के मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की.