पटना:बिहार में 2 सीटों पर हुए विधानसभा के उपचुनाव (Bihar Byelection) ने हर त्यौहार का रंग फीका कर दिया है. चुनाव भी अक्टूबर महीने और नवंबर महीने में तय हुआ और त्योहारों का महीना होने के नाते सभी लोगों ने दुआएं मिन्नतें खूब मांगी थी जीत का सेहरा अगर सिर पर बंधता है तो जीत रंग कुछ अलग होगा लेकिन बिहार में इस बार 2 दीपावली साफ-साफ मन रही है. एक ओर जहां जीत के बाद से गुलदस्ता और एक मिठाई का डिब्बे आने का सिलसिला जारी है. वहीं, जहां जीत नहीं मिली वहां पर इस बात की चर्चा ज्यादा है कि अगर महागठबंधन का समझौता हो जाता तो संभवत ही स्थिति ऐसी नहीं होती. इसी धुंध के बीच बिहार की दो दीपावली मनाई जा रही है.
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दीपावली से ठीक पहले जनता दल कार्यालय में नीतीश कुमार सभी लोगों से मिले उनसे बातें की और लोगों से गुलदस्ता लेकर बधाई दी. क्योंकि जीत नीतीश कुमार के खाते में आई है. ऐसे में खुशियों में इतराना जदयू का मिठाई बांटना लाजमी है. इस दीपावली में हर वो रंगोली बनाना भी त्योहारों के उस समय के अनुसार ही है जो जदयू के खाते में जीत के रूप में आ गई है. वास्तव में एक विरोध 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के साथ साथ चल रहा था कि अगर नीतीश कुमार हार जाते हैं तो क्या होगा क्योंकि ने उपचुनाव में नीतीश कुमार का आंकड़ा बहुत अच्छा नहीं रहा है.
यही वजह थी कि लोगों को इस बात का डर भी था कि जिन 2 सीटों पर चुनाव में अगर उसमें में से एक भी सीट नीतीश के हाथ से चली जाती है तो फिर क्या होगा. इस राजनीतिक सफर को उस जगह तो जरूर मिली लेकिन परिणामों ने यह बता दिया कि बिहार में सत्तापक्ष और विपक्ष अलग-अलग तरीके से दीपावली मनाएंगे. जीत का जश्न एकतरफा हो गया क्योंकि दोनों सीटों पर जदयू जीत गई. अगर इस परिणाम में कुछ इधर-उधर की बात होती तो संभवतः जीत विपक्ष के पास होता और सत्ता पक्ष के पास नहीं होता. उसकी सबसे बड़ी वजह यही थी कि पाने के लिए विपक्ष के बाद सब कुछ था लेकिन खोने के लिए सिर्फ नीतीश कुमार के पास था.