पटना: प्रदेश में कोरोना (Corona) की दूसरी लहरका पीक खत्म होने के साथ ही डायबिटीज (Diabetes) के नए मामलों की संख्या में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिससे आम लोगों के साथ ही डॉक्टरों की भी चिंता बढ़ गई है. कोरोना के बाद डायबिटीज के नए मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि लोगों ने कोरोना काल में सिर्फ कोरोना बीमारी खत्म करने पर ध्यान दिया और बाकी अन्य चीजों का ख्याल नहीं रखा. ऐसे में जो लोग डायबिटीज के बॉर्डर लाइन पर थे, उन लोगों ने समय पर डायबिटीज का जांच नहीं कराया और इसका नतीजा यह हुआ कि काफी संख्या में लोग एका-एक ब्लड शुगर की बीमारी से ग्रसित हो गए.
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जांच नहीं होने से संख्या बढ़ी
पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल डायबिटीज की बीमारी के लिए एक स्पेशलाइज्ड केंद्र है. इस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि कोरोना के बाद से जिस प्रकार से ब्लड शुगर के नए मरीज तेजी से बढ़े हैं, उसके कुछ अहम कारण हैं.
- पहला कारण यह है कि कोरोना हो या कोई भी एक्यूट इंफेक्शन की बीमारी हो, इस प्रकार की इन्फेक्शन की बीमारियों में ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना सामान्य बात है.
- दूसरा ये कि कोरोना काल में लोगों का ध्यान सिर्फ कोरोना से लड़ने पर केंद्रित हो गया. किसी को भी लक्षण महसूस हुए तो व्हाट्सएप पर जो कोरोना मरीजों के लिए दवा सर्कुलर हो रहा था, लोगों ने उसी पर विश्वास किया और आंख मूंदकर इन दवाइयों का सेवन किया.
डॉ. मनोज कुमार सिन्हा के मुताबिक कोरोना के इलाज में शामिल दवाइयों में कुछ दवाएं स्ट्राइड की भी थी. स्ट्राइड के अत्यधिक सेवन के वजह से लोगों में ब्लड शुगर का मामला काफी बढ़ गया है. स्ट्राइड के अधिक यूज से जिस प्रकार से लोगों में ब्लड शुगर बढ़ा, उसका एक खामियाजा यह हुआ कि काफी संख्या में लोगों में फंगल बीमारियां देखने को मिलने लगी और ब्लैक फंगस उनमें से सबसे प्रमुख हैं.