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बिहार में 3 लाख 67 हजार मामले अनुसंधान के लिए लंबित- एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार

बिहार में बड़ी संख्या में आपराधिक मामले अनुसंधान के लिए लंबित (criminal cases pending for investigation) है. जिसको लेकर पुलिस विभाग गंभीर है. एडीजी ने कहा है कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए दो कमिटी बनाई गई है. पढ़ें पूरी खबर.

बिहार पुलिस मुख्यालय
बिहार पुलिस मुख्यालय

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Published : Sep 11, 2022, 4:35 PM IST

पटना:बिहार में आपराधिक वारदातों में वृद्धि (Increase in criminal incidents in Bihar) हो रही है. बिहार में होने वाली घटनाओं में सबसे अधिक घटना जमीन विवाद के कारण हो रहा है. लगभग 60 प्रतिशत घटना जमीन विवाद के कारण घटित हो रही है. पहले की तुलना में प्रति वर्ष लगभग एक लाख एफआईआर अधिक दर्ज हो रहा. मौजूदा वक्त में लगभग तीन लाख कांड अनुसंधान के बिना लंबित है, जिस वजह से अपराधियों का हौसला बुलंद होता जा रहा है.

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पर्देश में आपराधिक वारदातों में वृद्धि: बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय एनसीआरबी के द्वारा जारी डाटा को आधार बना रही है. बिहार में अपराध की दर कई राज्यों के मुकाबले कम है. सवाल यह उठता है कि राज्य में प्रति साल जितनी एफआईआर दर्ज नहीं होती है. उससे कई गुना ज्यादा एफआईआर अनुसंधान के बिना लंबित पड़ा हुआ है. ऐसे में जब तक इन कांडों का अनुसंधान नहीं किया जाएगा, तबतक अपराधी फरार रहेंगे और इस तरह की घटना को अंजाम देते रहेंगे.

लंबित मामलों के निपटारे को लेकर विभाग गंभीर: बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार की माने तो बिहार में मौजूदा वक्त में लगभग 3 लाख 67 हजार कांड लंबित हैं. जिस को जल्द से जल्द अनुसंधान पूरा करने का निर्देश दिया गया है. इन कांडों को अनुसंधान करने को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय ने चुनौतिपूर्ण लिया है. एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो इन कांडों को जल्द से जल्द अनुसंधान पूरा करने को लेकर दो तरह की कमेटी बनाई गई है. पहला जिला स्तरीय कमेटी और दूसरा राज्य स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जो हर 15 दिन पर इन लंबित कांडों का अनुसरण कर जल्द से जल्द निपटारा करेगी.

लंबित मामलों को लेकर होगी बैठक: जितेंद्र सिंह ने बताया कि इन टीम के द्वारा यह पता किया जाएगा कि आखिर किन कारणों से अनुसंधान में कठिनाइयां आती है. जिस वजह से समय पर अनुसंधान पूरा नहीं हो पाता है. अक्सर देखने को मिलता है कि कुर्की मिलने में दिक्कत, इंजरी रिपोर्ट मिलने में दिक्कत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में दिक्कत के अलावे कई तरह की मुश्किल सामने आती हैं और इसे जल्द से जल्द कैसे निपटाया जाए. इन सभी विषयों पर हर पल हर दिन पर बैठक की जाएगी.

"माननीय उच्च न्यायालय के यहां एक बैठक हुई थी. उसमें 3 लाख 67 हजार मामले प्रकाश में आए, जहां पर अभी भी पुलिस का अनुसंधान जारी है. ऐसे मामलो को हमलोगों ने प्राथमिकता में लिया है. दो लेवल की कमिटी बना दिया है, एक जिला स्तर की कमिटी और एक राज्य स्तर की कमिटी और ये हर 15 दिन पर बैठकर मिटिंग करेगी. उसमें अनुसंधान में दिक्कत को लेकर तहकीकात करेंगे. हमारे यहां कुल मिलाकर ढाई से तीन लाख एफआईआर दर्ज होने लगी है. एफआईआर की संख्या बढ़ रही है, जनसंख्या भी बढ़ रही है. हमलोग लगातार इसको कम कर रहे हैं."- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

एफआईआर दर्ज होने में हो रही वृद्धी: पुलिस मुख्यालय का मानना है कि जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, ठीक उसी प्रकार एफआईआर दर्ज होने में भी वृद्धि हो रही है. पहले जहां दो लाख से कम एफआईआर दर्ज हुआ करता था, वह बढ़कर अब ढाई से तीन लाख पहुंच गया है. विगत 2 दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में बिगड़ते लॉ एंड ऑर्डर को देखते हुए समीक्षा बैठक की थी. जिसमें उन्होंने बिहार में जमीन विवाद के कारण ज्यादा अपराधी घटना होने का जिक्र किया था, जिसको लेकर पुलिस मुख्यालय को निर्देश भी दिया गया है.

प्रशासनिक सेवा के कई पद सृजित: बिहार में कहीं ना कहीं बढ़ती घटनाओं को देखते हुए स्टाफ अफसर के अलावा बिहार प्रशासनिक सेवा के अपर पुलिस अधीक्षक के नए पद भी सृजित हुए हैं. नए पदों में अरवल, बगहा, नवगछिया सीआईडी में तीन कमजोर वर्ग के अधीन तीन रेलवे पटना, मुजफ्फरपुर, कटिहार और जमालपुर में भी एएसपी का पद सृजित हुआ है. हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि भारी संख्या में लंबित कांडों के अनुसंधान पुराना हो पाना पुलिसकर्मियों की कमी भी है. हालांकि पुलिस मुख्यालय इस पर कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज कर रहा है.

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