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हड़ताली सफाई कर्मियों पर पटना नगर निगम लेगा एक्शन, मेयर ने नगर आयुक्त को लिखा पत्र - सफाई कर्मियों की हड़ताल

सोमवार से अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) के सफाई कर्मी अनिश्चितकाल हड़ताल पर चले गए हैं. अब इन लोगों पर एक्शन लेने की तैयारी चल रही है. पढ़ें पूरी खबर..

patna municipal corporation news today
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Published : Aug 10, 2021, 7:02 PM IST

पटना:15 सूत्री मांगों को लेकर सोमवार से पटना नगर निगम(Patna Municipal Corporation) के चतुर्थ वर्गीय सफाई कर्मी अनिश्चितकाल हड़ताल (Sanitation Workers Strike) पर चले गए हैं. अब ऐसे सफाई कर्मी यूनियन के नेताओं पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.

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मंगलवार को सफाई कर्मियों की हड़ताल का दूसरा दिन है. जिसकी वजह से शहर में कूड़े का अंबार दिखना शुरू हो गया है. शहर की सफाई व्यवस्था बाधित होता देख मेयर सीता साहू (Mayor Sita Sahu) ने सफाई कर्मी यूनियन के नेताओं पर करवाई करने के लिए नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा को पत्र लिखा है.

समान काम के बदले वेतन की मांग, निगम में अस्थाई नियुक्ति सहित 15 सूत्री मांगों को लेकर पटना नगर निगम के चतुर्थवर्गीय सफाई कर्मी हड़ताल कर रहे हैं. सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के बाद से शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बाधित हो गई है.

शहर में हर तरफ कूड़े का अंबार दिख रहा है. शहर की गंदगी देख पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू ने सफाई कर्मी के नेताओं पर कार्रवाई करने के लिए नगर निगम के आयुक्त हिमांशु शर्मा को पत्र लिखा है.

मेयर सीता साहू ने पत्र में लिखा है कि नगर निगम की तरफ से जितना लाभ सफाई कर्मियों को दिया जा रहा है. उससे पहले कभी नहीं दिया गया था. चाहे वो नियुक्ति करने का प्रश्न है, परिवारिक पेंशन एसीपी का प्रश्न ,सभी मामले में नगर निगम में मेरे द्वारा काम किया गया है और कर्मियों को लाभ प्रदान किया गया है.

साथ ही मेयर ने पत्राचार के माध्यम से कहा कि कुछ कर्मियों द्वारा आए दिन हड़ताल और कार्य का बहिष्कार करना सफाई कार्य में बाधा डालने जैसा है. जिसके तहत उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.

बात दें कि आउटसोर्स में कई एजेंसियां कर्मचारी दे रही हैं. कर्मचारियों की मांग उनके लिए सेवा शर्त बनाने की है. ताकि ऐसे कर्मियों को एजेंसी तत्काल हटा न सके. आरोप है कि एजेंसी कर्मियों के नाम पर 13 हजार 800 रुपये निगम प्रशासन से लेते हैं. लेकिन इन्हें 7 हजार ही दिया जाता है. चालकों के लिए 18 से 22 हजार, लेकिन इन्हें 9 से 10 हजार ही दिए जाते हैं. वहीं, ईपीएफ की गणना में सुधार और इसे सीधे मजदूरों के खाते में जमा कराने की मांग अप्रैल 2016 से इसमें विसंगति दिख रही है. औसतन 1200 रुपये के हिसाब से 1 माह में 4200 कर्मचारियों से लगभग एक लाख की कटौती होती है. पिछले 5 साल 2 माह में करीब 31 करोड़ की कटौती हुई है. जमा 350 करोड़ रुपए ही हुए.

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