पटनाःबिहार में साल 2012 में हुआ गर्भाशय घोटाला (Action Not Taken Against Accused In Uterus Scam) बिहार में एक बार फिर से चर्चा में है.पटना हाईकोर्टने मामले को सीबीआई जांच (CBI Probe Into Uterus Scam In Bihar) के लिए भेज दिया है. अब मामले की जांच सीबीआई कर रही है, इसके साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 1 नवंबर को होनी है. पिछले सुनवाई में राज्य के मुख्य सचिव को पटना हाईकोर्ट ने हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है कि वह बताएं कि इस मामले में अब तक क्या कुछ कार्रवाई सरकार की ओर से की गई है और आगे क्या कार्रवाई करने का प्रस्ताव है.
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साल 2011 में आई थी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना: दरअसल वेटरन फोरम की ओर से पटना हाईकोर्ट में गर्भाशय घोटाला को लेकर अर्जी दायर की गई थी जिस पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है. केंद्र सरकार ने साल 2011 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की थी. इस योजना के तहत बीपीएल कैटेगरी में आने वाले परिवारों का 30000 तक का इलाज मुफ्त में होना था और इस योजना के क्रियान्वयन के लिए बिहार के सभी जिलों के 350 अस्पतालों का चयन किया गया. आरोप है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत फायदा लेने के लिए बिहार के कई अस्पतालों और डॉक्टरों की ओर से बड़ी संख्या में महिलाओं के गर्भाशय उनकी सहमति के बगैर सर्जरी के निकाल लिए गए थे.
घोटाले में किया गया मोटी राशि का गबनःसरकार की ओर से हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर जो जानकारी दी गई है, उस जानकारी में पता चला कि बीमा राशि के लिए कथित रूप से 82 पुरुषों के गर्भाशय भी निकाल लिए गए. जिससे साफ पता चलता है कि घोटाला हुआ है. इसके अलावा कई ऐसी महिलाओं की भी गर्भाशय निकाल लिए गए, जिन्हें सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं थी और इन सर्जरी के जरिए मोटी राशि का गबन किया गया था. पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता पक्ष की ओर के वकील दीनू कुमार ने हाई कोर्ट में जानकारी दी है कि 44619 महिलाओं के गर्भाशय इस योजना के तहत प्रदेश भर में निकाले गए, जिनमें 27511 का गर्भाशय उनकी बिना परमिशन के निकाले गए हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वत: संज्ञान लियाः गर्भाशय घोटाले के बारे में जानकारी देते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि साल 2012 में मीडिया में गर्भाशय घोटाला की खबर सामने आई जिसके बाद बिहार मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रोसीडिंग स्टार्ट की. मानव अधिकार आयोग ने बिहार के पदाधिकारियों को आदेश दिया कि इसकी जांच करके बताएं. आयोग के बार-बार आदेश देने के बावजूद अधिकारी कोई एक्शन नहीं ले रहे थे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि इस मामले की जांच करके मानवाधिकार आयोग को बताएं. इसके बावजूद भी बिहार सरकार के लेबर डिपार्टमेंट और हेल्थ डिपार्टमेंट के पदाधिकारियों ने सभी 38 जिलों का विवरण नहीं दिया. सिर्फ 10 जिला का विवरण दिया गया जिससे स्पष्ट हुआ कि नेशनल हेल्थ स्कीम के तहत 46619 महिलाओं का गर्भाशय निकाला गया है जो बीपीएल परिवार से आते हैं.