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बिहार मेडिकल समिट में 25 चिकित्सकों को मिला 'आचार्य चरक सम्मान', स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों के योगदान को बताया अतुलनीय

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने बिहार मेडिकल समिट (Bihar Medical Summit) के दौरान कहा कि कोरोना काल में डॉक्टरों की अथक प्रयास से ही हम महामारी पर विजय पाने की स्थिति में पहुंचे हैं. वहीं सम्राट चौधरी मौजूद (Samrat Choudhary) ने कहा कि चिकित्सकों ने जो काम किया है, वह सराहनीय है.

http://10.10.50.75//bihar/26-September-2021/bh-pat-05-medical-summit-me-25-doctor-sammanit-pkg-7204423_26092021184121_2609f_1632661881_400.jpg
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Published : Sep 26, 2021, 7:52 PM IST

पटना:राजधानी पटना के होटल मौर्या में रविवार को इवेंटजिक मीडिया की ओर से बिहार मेडिकल समिट 2021 (Bihar Medical Summit) का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर परस्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) और विशिष्ट अतिथि के तौर पर पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी मौजूद (Samrat Choudhary) मौजूद रहे. इस कार्यक्रम के दौरान एलोपैथिक चिकित्सा (Allopathic Medicine) के विभिन्न क्षेत्रों के 25 चिकित्सकों को आचार्य चरक सम्मान (Acharya Charak Samman) से सम्मानित किया गया. सम्मान पाने वालों में पटना के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजन ठाकुर, ऑर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ. ऋषि कांत समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे.

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार के पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) ने कहा कि कोरोना के समय में जिस प्रकार से प्रदेश में चिकित्सकों ने काम किया है, वह सराहनीय है. उन्होंने कहा कि देशभर में सर्वाधिक चिकित्सक बिहार में ही कोरोना से जान गंवाई. इसके बावजूद पूरी निष्ठा से सभी चिकित्सक मरीजों की सेवा में लगे रहे. कोरोना काल में चिकित्सकों का योगदान अतुलनीय है.

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वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि आज के दौर में चिकित्सकों का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. जिस प्रकार से इस महामारी से चिकित्सकों ने पूरे देश को और प्रदेश को उबारा है, वह बहुत ही सराहनीय है. जिस प्रकार से अपनी जान को जोखिम में डालकर चिकित्सकों ने मरीजों की सेवा की है, उसी का नतीजा है कि आज प्रदेश और देश भर में जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है.

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि अगर यह चिकित्सा विज्ञान नहीं होता तो कल्पना किया जा सकता है कि इस महामारी के हालत में क्या स्थिति उत्पन्न हुई होती. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार का महामारी 102 वर्ष पूर्व स्पेनिश फ्लू के तौर पर आया था और उस वक्त सभी जानते हैं कि देश और दुनिया में करोड़ों लोगों की जानें गई थी. कोरोना से आंकड़े यही आते हैं कि करोड़ों लोग संक्रमित हैं, लेकिन 102 वर्ष पूर्व भारत में भी उस फ्लू से मरने वालों की संख्या करोड़ों में थी.

मंगल पांडे ने कहा कि आज गर्व है कि देश और दुनिया में इतना डेवलप्ड मेडिकल साइंस है. जिसकी वजह से उस फ्लू से भी अधिक गंभीर बीमारी के आने के बावजूद करोड़ों जाने बचाई गई हैं. उन्होंने कहा कि इस बार सिर्फ कोरोना का संक्रमण ही नहीं, बल्कि पोस्ट कोविड-19 इफेक्ट भी काफी परेशान किया है और इन सभी चुनौतियों से प्रदेश के चिकित्सक लगातार निपट रहे हैं. बीमार मरीजों की जान बचा रहे हैं, इसके लिए जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है.

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