पटना: शहर की शान और खुदाबख्श लाइब्रेरी के संस्थापक मोहम्मद खुदा बख्श खान की जयंती और पुण्यतिथि के मौके पर अगस्त के पहले सप्ताह में खुदा बख्श दिवस समारोह का आयोजन किया जाता रहा है.
ऐसे में दुर्लभ दस्तावेज, पुस्तक और पेंटिंग्स से सराबोर यह लाइब्रेरी न केवल शहर परंतु देश दुनिया में भी शुमार है. इस लाईब्रेरी में 22 हजार दुर्लभ पांडुलिपियां हैं. यहां अरबी, फारसी, संस्कृत एवं पर्शियन में पांडुलिपियां संरक्षित और सुरक्षित हैं. जानकारों के मुताबिक लाइब्रेरी में रखे दुर्लभ पुस्तक, पांडुलिपियां और तस्वीरें पटना के मशहूर वकील मरहूम खुदा बख्श खान की पटना वासियों के लिए एक बेशकीमती देन है.
वर्ष 1891 में हुई लाईब्रेरी की स्थापना
खान खुदा बख्श ने इस लाईब्रेरी की स्थापना वर्ष 1891 में की थी. उसी वर्ष 5 अक्टूबर को बिहार और बंगाल के तत्कालीन गवर्नर सर चार्ल्स इलियट ने इस पुस्तकालय का विधिवत उद्घाटन किया था. यह लाइब्रेरी पहले बांकीपुर ओरिएंटल लाइब्रेरी तथा ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के नाम से जानी जाती थी. वहीं वर्ष 1969 में भारतीय सांसद ने इसे संस्कृति विभाग के अधीन इसे एक स्वायत्त संस्था के रूप में मान्यता दे दी.
दुर्लभ पांडुलिपियों का है अपार संग्रह
छपरा के निवासी खान खुदा बख्श ने राजधानी पटना स्थित अशोक राजपथ में अपने पिता की ओर से दी गई पुस्तकों को संग्रहित कर इस लाइब्रेरी की स्थापना की थी. जिसमें आईने अकबरी सिकंदरनामा, बाजनामा, शाहनामा, सहित भारतीय और मुगलकालीन एवं सतरहवीं शताब्दी से जुड़ी कई पांडुलिपियां दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.