पटना: उत्तर बिहार में बाढ़ की चपेट में आकर 11 और लोगों की जान चली गई. इससे आंकड़ा बढ़कर 88 हो गया है. सीतामढ़ी में अब तक11 लोगों की मौत हो गई है. जबकि समस्तीपुर में 5 लोग बाढ़ की चपेट में आकर मारे गए. वहीं, मधुबनी में प्रलयंकारी बाढ़ से अब तक10 लोगों की मौत हुई है.
बाढ़ के डर से पलायन करते लोग डूब कर दो लड़कियों की मौत
सीतामढ़ी जिले के रीगा थाना क्षेत्र में दो लड़कियों की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई. दोनों बाढ़ के पानी में स्नान करने के दौरान डूब गई.
कटिहार के कदवा थाने के कमरू गांव में सैलाब के पानी में दो किशोरियों समेत चार महिलायें डूब गयी. दो को किसी प्रकार से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. जबकि दो की मौत हो गयी. राज्य के 12 जिले बाढ़ का तांडव झेल रहे हैं. उत्तरी बिहार के 25 लाख से ज्यादा लोग इस विभिषिका की चपेट में हैं.
मोतिहारी में 21 लोगों की मौत
जिलेवार बात करें तो मोतिहारी में अब तक 21 लोगों की मौत हो गई . वहीं अररिया में 15 लोग काल के गाल में समा चुके हैं. मधुबनी में प्रलयंकारी बाढ़ से अब तक10 लोगों की मौत हुई तो किशनगंज के जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने 4 मौत की पुष्टि की है. जिसमें दो बच्चे और दो जवान शामिल हैं.
सीतामढ़ी में 11 लोगों की मौत
सीतामढ़ी में 11 लोगों की मौत हो गई है. जबकि समस्तीपुर में 5 लोग बाढ़ की चपेट में आकर मारे गए. वहीं, सुपौल में भी मरने वालों की संख्या 5 हो गई है. शिवहर में 6 बच्चियों की मौत हुई, जबकि मुजफ्फरपुर में 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं दरभंगा में दो, कटिहार में दो और बेतिया में 3 लोगों की मौत इस भीषण आपदा के कारण हो चुकी है.
राहत और बचाव कार्य जारी
बाढ़ के कारण मौत के ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. इन सभी के बीच सरकार लगातार बेहतर राहत और बचाव कार्य के दावे तो कर रही है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की शिकायत और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
लोगों का ठिकाना बना राहत शिविर
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए 199 राहत शिविरों में 1.16 लाख लोग शरण लिए हुए हैं. अब तक 12 जिलों के 78 प्रखंडों की 555 ग्राम पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है जिनमें अधिकांश ग्राम पंचायतें पूर्णरूप से जलमग्न हैं.
विपक्ष ने सरकार को घेरा
बहरहाल, जो भी हो सदन में विपक्ष विरोध कर और सीएम नीतीश कुमार बाढ़ इलाकों का हवाई दौरा कर अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने के दंभ भर रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच दशकों से बाढ़ की आपदा झेल रहे बिहारियों की किस्मत नहीं बदल रही.