पटना: पीएमसीएच का 97वां फाउंडेशन डे 25 फरवरी को है. ऐसे में इस पर कॉलेज फाउंडेशन डे के मौके पर विभिन्न विषयों में टॉप करने वाले 74 मेडिकल के अंडर ग्रेजुएट और पीजी छात्र-छात्राएं गोल्ड मेडल से सम्मानित किए जाएंगे (74 Students of PMCH Will be Awarded with Gold Medal in Patna). कॉलेज फाउंडेशन डे को लेकर पीएमसीएच के एल्यूमनाई हॉल में शनिवार को प्रेस वार्ता की गई, जिसमें एलुमनाई एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर डीपी गुप्ता, ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ सत्यजीत सिंह, पीएमसीएच के प्राचार्य और कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक डॉ विद्यापति चौधरी समेत कई चिकित्सक मौजूद रहे.
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25 फरवरी को आयोजित पीएमसीएच फाउंडेशन डे के कार्यक्रम का उद्घाटन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे करेंगे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा होंगे, जो कॉलेज फ्लैग को लेकर अस्पताल के राजेंद्र सर्जिकल वार्ड से लेकर एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक तक मार्च पास्ट करेंगे. इस मार्च पास्ट में पीएमसीएच के कई एलुमनाई सदस्य शामिल होंगे.
पीएमसीएच एलुमनाई एसोसिएशन के ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ सत्यजीत सिंह ने कहा कि कोरोना के कारण उत्पन्न हुई पिछले 2 वर्षों की स्थिति और मरीज, स्वास्थ्यकर्मी और चिकित्सकों की काफी संख्या में मृत्यु हुई थी. इसकी वजह से इस बार धूमधाम से पीएमसीएच का कॉलेज फाउंडेशन डे नहीं मनाया जा रहा है. एक परंपरा शुरू से चली आ रही है कि कॉलेज फाउंडेशन लेकर मौके पर टॉप करने वाले छात्रों को गोल्ड मेडल दिया जाता है. उस परंपरा को इस बार भी निभाया जा रहा है और मेडिकल के अंडर ग्रेजुएट और पीजी के 74 छात्र छात्राओं को इस बार गोल्ड मेडल दिया जा रहा है.
कॉलेज फाउंडेशन डे कार्यक्रम की शुरुआत में कोरोना से हुई प्रदेश भर में जिन लोगों की मृत्यु हुई है उन्हें याद करते हुए 2 मिनट का मौन रखा जाएगा और फिर कार्यक्रम की शुरुआत होगी. कार्यक्रम में 10 वरिष्ठ चिकित्सक सम्मानित किए जाएंगे इसके अलावा एक सफाई कर्मी रामप्रवेश पासवान को भी सम्मानित किया जाएगा. कोरोना के समय पीएमसीएच के rt-pcr लैब कि स्वच्छता में इनका बहुत अहम रोल रहा है और उन्होंने पूरी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाई है.
डॉ सत्यजीत सिंह ने कहा कि इसके अलावा मीडिया में पीएमसीएच को लेकर जो शिकायतें आती है कि यहां किसी प्रकार की कोई सूचना आसानी से नहीं प्राप्त होती है. इसके लिए मरीजों को काफी तकलीफ भी होती है, अस्पताल का अपना वेबसाइट नहीं है, जिससे मरीज यह पता कर सकें कि आज ओपीडी में कौन डॉक्टर बैठेंगे और उन्हें जिनसे दिखाना है वह उस दिन बैठ रहे हैं या नहीं. इन सब शिकायतों को फाउंडेशन डे के मौके पर कॉलेज प्रबंधन के सामने उठाए जाएंगे.
पीएमसीएच के प्राचार्य और फाउंडेशन डे कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक डॉ विद्यापति चौधरी ने कहा कि उन बच्चों को बधाई देते हैं, जो अपनी प्रतिभा के बलबूते टॉप किए हैं. गोल्ड मेडल देकर उन्हें कॉलेज फाउंडेशन डे के मौके पर सम्मानित किया जाना है. उन्होंने कहा कि पीएमसीएच का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और यहां के चिकित्सक डॉक्टर दुखन राम भारत के प्रेसिडेंट के मुख्य नेत्र चिकित्सक रहे हैं. डॉक्टर शिव नारायण सिंह प्रेसिडेंट के मुख्य चिकित्सक रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यहां के कई चिकित्सकों ने देश और दुनिया में पीएमसीएच और देश का नाम रोशन किया है. वह अपने कॉलेज के सभी छात्र-छात्राओं को पीएमसीएच की गौरवपूर्ण इतिहास की जानकारी देते हैं और उनसे अपील करते हैं कि वह भी पीएमसीएच की गौरवपूर्ण गरिमा को बनाए रखें और इसी प्रकार जीवन में मुकाम हासिल करने का लक्ष्य रखें. पीएमसीएच का जो कॉलेज गान है सेवा परमो धर्मः उसे जीवन में अमल करने की सभी छात्र-छात्राओं को सीख देते हैं.
विद्यापति चौधरी ने कहा कि पीएमसीएच वर्ल्ड क्लास हॉस्पिटल बन रहा है, लेकिन इसका एक गौरवपूर्ण अतीत रहा है. कई एलुमनाई से उनके पास मांग आई है कि पीएमसीएच के कुछ ब्लॉक को हेरिटेज के तौर पर रखा जाए. इसे नवनिर्माण के क्रम में तोड़ने से बचाया जाए. ऐसे में वह सरकार से अपील करेंगे कि पीएमसीएच के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक और पीएमसीएच के अधीक्षक कक्ष के भवन को तोड़ने से रोका जाए और इसे हेरिटेज के रूप में रखा जाए. पीएमसीएच में वर्तमान में जो अधीक्षक कक्ष है, वहां बांकीपुर मेडिकल स्कूल चलता था, जो सैनिकों का हॉस्पिटल था. बाद में 1874 में टेंपल मेडिकल स्कूल हो गया और फिर 1925 में यह प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का हिस्सा बन गया.
पीएमसीएच में दो गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले एमबीबीएस 2018 बैच के छात्र रवि राज कुमार ने बताया कि पीएमसीएच में उनका अनुभव बेहद सुखद रहा है. जब 2018 में वह अपना दाखिला कराए थे, उस समय कोरोना नहीं था. ऐसे में काफी सारी एकेडमिक गतिविधियां हुईं और इसका काफी लाभ मिला. बीते कुछ वर्षों में कोरोना से उत्पन्न हालातों की वजह से समाज में बीमारी और उसकी गंभीरता के प्रति उनका नजरिया काफी बदल गया है. किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं आंका जा सकता और समय पर ही उपचार जरूरी होता है. कॉलेज की फैकल्टी का सभी छात्रों को पूरा सहयोग मिलता है और सभी फैकल्टी काफी अच्छी शिक्षा देते हैं.
पीएमसीएच में इस बार की टॉपर एमबीबीएस 2018 बैच की आशना कुमारी ने बताया कि पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी समेत विभिन्न विषयों में टॉपर बनने पर उन्हें 6 गोल्ड मैडल मिल रहे हैं, जो इस बार सबसे अधिक है. इस बात की उन्हें काफी खुशी है और पीएमसीएच में पढ़ाई के दौरान उन्होंने यह सीखा है कि मरीज से किस प्रकार व्यवहार किया जाता है और कैसे मरीज से सहानुभूति रखते हुए उसका उपचार किया जाता है. यहां की फैकेल्टी सभी अपने क्षेत्र में श्रेष्ठ हैं और उनसे सीखना हमेशा एक सुखद अनुभव होता है.
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