पटनाः केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में कर्मचारी संगठनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आज पहला दिन है. बैंककर्मी निजीकरण के विरोध में दो दिनों का हड़ताल कर रहे हैं. 15 और 16 मार्च को बैंक कर्मी स्ट्राइक पर रहकर सरकार की तरफ से बैंकों का निजीकरण किए जाने के फैसले पर अपना विरोध जता रहे हैं.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर हड़ताल
बैंक कर्मियों की 2 दिनों की स्ट्राइक का व्यापक असर देखने को मिलेगा. इस दौरान एटीएम सेवा भी प्रभावित रहेगी. 2 दिनों में लगभग 70 हजार करोड़ों रुपये का टर्नओवर रुकने का भी अनुमान लगाया जा रहा है. केंद्र सरकार के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सोमवार से यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत राज्य के 3978 राष्ट्रीयकृत व्यवसायिक और 2110 ग्रामीण बैंक के बैंक कर्मी आज हड़ताल पर हैं.
"केंद्र सरकार द्वारा इस साल जो बजट पास किया गया है उसमें एक बार फिर 2 बैंकों के साथ एलआईसी जीआईसी और अन्य सरकारी आधारों को बेचकर 1,75,000 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा आम जनता के साथ धोखा है. वित्तीय संस्थानों के निजीकरण का अर्थ साफ है कि सरकार बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को कुछ घरानों के हाथों सौपे जाने की तैयारी कर रही है."- उत्पल कान्त, नेता, बैंक कर्मी यूनियन