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हंगामे की भेंट चढ़ा शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन, पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर मढ़े आरोप - sushil kumar modi

हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही संचालित की. इस दौरान डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अधिकाय विधेयक पेश किया. उसी दौरान सुशील मोदी ने एक बार फिर से पशुपालन घोटाला की चर्चा की.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

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Published : Nov 25, 2019, 9:42 PM IST

पटना: बिहार विधानमंडल केशीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधानसभा की कार्यवाही विपक्षी सदस्यों के हंगामे की भेंट चढ़ गई. विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप भी लगाया, तो वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कहा कि सरकार वक्तव्य देने के लिए तैयार थी. लेकिन अनुभवहीनता के कारण सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई.

सोमवार को शीतकालीन सत्र में विधानसभा की कार्यवाही का दूसरा दिन था. वहीं, विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. इस हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया. उस समय सदन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. विपक्ष नियोजित शिक्षकों समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेर रही थी. सेकेंड हॉफ के बाद शुरू हुई कार्यवाही में विपक्ष ने फिर से वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी.

पटना से अविनाश की रिपोर्ट

डिप्टी सीएम ने पेश किया अधिकाय विधेयक
हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही संचालित की. इस दौरान डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने अधिकाय विधेयक पेश किया. उसी दौरान सुशील मोदी ने एक बार फिर से पशुपालन घोटाला की चर्चा की. सुशील मोदी ने कहा कि 645 करोड़ से अधिक की निकासी 1990 से 1995 के दौरान, जब आरजेडी की सरकार थी उस समय खर्च कर दी गई. जो पशुपालन घोटाला के रूप में सामने आयी.

बिहार विधानसभा

फिर उठा सृजन घोटाला...
वेल में हंगामा कर रहे आरजेडी सदस्यों ने सृजन का मामला भी उठाया और बाद में नाराजगी भी जताई. विपक्षी सदस्यों का कहना था कि सरकार जवाब देने से भाग रही है और विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है. सत्ता पक्ष की ओर से भी विपक्ष पर सदन को नहीं चलने देने का आरोप लगाया गया. मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि सरकार जब वक्तव्य देने के लिए तैयार थी, तो विपक्ष के लिए अच्छा मौका था कि वो वक्तव्य लेते. लेकिन अनुभवहीनता की वजह से सदन की कार्यवाही हंगामे के भेंट चढ़ गई.

  • अब शीतकालीन सत्र के 3 और दिन बचे हैं. लेकिन विपक्षी सदस्यों के तेवर से साफ लग रहा है कि इस सत्र में जनता के सवाल सदन में शायद ही उठ पाएंगे और उनके जवाब मिल पाएंगे.

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