पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए 15 साल बनाम 15 साल के विकास कार्यों को मुद्दा बना रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों में हुए कार्य को लेकर एनडीए नेताओं की ओर से दावे भी शुरू हो गए हैं. कृषि का क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिहार की 76 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. बिहार सरकार का दावा रहा है कृषि के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए हैं. कृषि रोड मैप, कृषि कैबिनेट, यंत्रीकरण, फसल सहायता योजना, इनपुट सब्सिडी और जैविक कृषि से बिहार में कृषि में काफी बदलाव आया है. इससे उत्पादन बढ़ा है और बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है. किसानों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन आरजेडी का कहना है कि आज किसान सबसे ज्यादा बदहाल हैं. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं योजनाएं तो एनडीए सरकार में कई शुरू हुईं, लेकिन किसानों को जितना लाभ मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिला.
15 साल बनाम 15 साल कृषि क्षेत्र में दावेः
बिहार में कृषि लोगों की जीविका का सबसे बड़ा माध्यम है. यहां की बड़ी आबादी किसी ना किसी रूप में कृषि से जुड़ी हुई है. बिहार में उद्योग धंधे बड़े पैमाने पर नहीं होने के कारण कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. एनडीए सरकार का दावा है कि बिहार में कई कदम उठाए गए हैं और उसका असर साफ दिखता भी है. उसी के कारण पिछले 15 सालों में पांच कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिले हैं.
एनडीए सरकार में कृषि को लेकर लिए गए बड़े फैसले
- कृषि कैबिनेट का गठन
- कृषि रोड मैप
- फसल सहायता योजना
- किसी के यांत्रिकीकरण पर सब्सिडी
- जैविक कृषि पर जोर
- बीज उत्पादन में पहल
- बाढ़ और सुखाड़ में किसानों को इनपुट सब्सिडी
कृषि मंत्री के अनुसार कृषि के क्षेत्र में आरजेडी के शासन काल से एनडीए के शासन की कोई तुलना नहीं है. लालू प्रसाद यादव के शासन से एनडीए के शासन में कृषि के क्षेत्र में फर्क साफ दिखता है. कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि 2005 से पहले कृषि विभाग का कुल बजट 20 करोड़ था. जो आज बढ़कर 24 सौ करोड़ तक पहुंच गया है. पहले गेहूं की उत्पादकता 18.23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और कुल उत्पादन 37.86 लाख मीट्रिक टन था. एनडीए सरकार में 28.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और उत्पादन 61.55 लाख मीट्रिक टन हो गया हैं, यानी दोगुने से भी अधिक उत्पादन हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार के कृषि के क्षेत्र में किए गए कार्य के कारण पिछले 15 सालों में बिहार को पांच कृषि कर्मन पुरस्कार मिले हैं.
वहीं, आरजेडी का कहना है आज सबसे अधिक बदहाल अन्नदाता किसान है. एनडीए के लोग भले ही आरजेडी शासन को गाली दे दें, लेकिन किसान की बदहाली क्यों है. इसका जवाब उन्हें देना चाहिए.
विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ने नीतीश सरकार की कई योजना का अध्ययन किया है. जिन्हें योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए था, उन तक सही ढंग से योजना नहीं पहुंच पाई है. कृषि का विकास ग्रोथ अच्छा नहीं रहा है. इसलिए कृषि के क्षेत्र में ग्रोथ के मामले में 15 साल बनाम 15 साल में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. लेकिन कई नई योजना एनडीए सरकार ने शुरू की और उसका लाभ किसानों को मिल सकता है.
कृषि के क्षेत्र में 15 साल बनाम 15 साल के आंकड़ेः
फसल का नाम | आरजेडी | एनडीए |
गेंहू | 37.86 | 61.55 |
धान | 42.24 | 76.51 |
मक्का | 15.67 | 27.76 |
(उत्पादन लाख मीट्रिक टन)
फसल का नाम | आरजेडी | एनडीए |
गेंहू | 18.23 | 28.43 |
धान | 12.28 | 21.64 |
मक्का | 24.64 | 41.54 |