पटना: राजधानी पटना से सटे बिहटा स्थित एसडीआरएफ कैम्पस में आयोजित स्वयंसेवकों के 12 दिवसीय सामुदायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हो गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यासजी मौजूद रहे. उन्होंने प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र और परीक्षा में टॉप तीन वोलेंटियर को मेडल देकर सम्मानित किया.
'पीड़ितों को हर संभव मदद करने में होंगे सहायक'
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यासजी ने कहा कि प्रशिक्षित सभी स्वयंसेवक किसी भी आपदा में एक फर्स्ट रेस्पांडर के तौर पर पीड़ितों को हर संभव मदद करने में सहायक होंगे. प्रशिक्षण के दौरान स्वयंसेवकों को जीवन रक्षक तकनीक, खोज एवं बचाव तकनीक, बाढ़-बचाव तकनीक, सर्प-दंश प्रबंधन आदि के बारे में लेक्चर तथा डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से बताया गया है. उन्होंने कहा कि सभी स्वयंसेवक अब एसडीआरएफ मित्र है.
संवेदनशील है दक्षिण बिहार
व्यासजी ने कहा कि बाढ़ और भूकंप आपदा के मद्देनजर दक्षिण बिहार बहुत ही संवेदनशील है. प्रशिक्षित सभी स्वयंसेवक आपदा में अपनी निपुणता का इस्तेमाल करते हुए हमेशा लोगों की मदद करने के लिए तत्पर रहें. साथ ही अपनी जानकारी को अपने आस पास के लोगों के साथ भी साझा करें.
टॉप तीन वोलेंटियर को दिया गया मेडल
एसडीआरएफ के कमांडेंट मोहम्मद फरोगुद्दीन ने बताया कि पूर्णिया जिले स्थित अमौर प्रखंड के 40 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कर प्रमाण पत्र और प्रशिक्षण के बाद परीक्षा में टॉप तीन वोलेंटियर को मेडल दिया गया. उन्होंने इस मौके पर कोरोना का खतरा और इससे बचने की जानकारी दी. कार्यक्रम का संचालन डॉ. मधु बाला और धन्यवाद ज्ञापन प्राधिकरण के सीनियर कंसल्टेंट नीरज कुमार सिंह ने किया. इस मौके पर एसडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट एसएस यादव के अलावा एसडीआरएफ के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे.
मदद कर पाएंगे नवयुवक
गौरतलब है कि बिहार राज्य आपदा की तरफ से बिहार के 38 जिलों के 8500 पंचायतों में से 10-10 नवयुवकों को आपदा से निपटने को लेकर एसडीआरएफ की तरफ से प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इससे किसी भी क्षेत्र में आपदा के समय प्रशिक्षण प्राप्त नवयुवक मदद कर पाएंगे.