पटना:सीएम नीतीश कुमार(CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में हो रही कैबिनेट की बैठक खत्म समाप्त हो चुकी है. गुरुवार की कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना (Cast Census in Bihar) के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई. कैबिनेट में कुल 12 एजेंडों (12 agendas passed in Nitish cabinet meeting) पर मुहर लगी है. मुख्य सचिवालय के कैबिनेट हॉल में आयोजित इस बैठक में साफ कर दिया गया कि बिहार सरकार अपने संसाधन से जाति आधारित गणना कराएगी.
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कैबिनेट की बैठक में जातीय जनगणना पर मुहर:बिहार में जातीय जनगणना सरकार अपने खर्च पर कराने जा रही है.बता दें कि बुधवार यानि 1 जून को सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सीएम सचिवालय के संवाद भवन में जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक हुई. विधानसभा में जिनके भी विधायक हैं, उन सभी दल को इस बैठक में बुलाया गया था. आरजेडी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मनोज झा पहुंचे थे. वहीं, बीजेपी से प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद भी बैठक में मौजूद रहे. इसके अलावा अन्य सभी दलों के नेता भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद कहा कि सबकी सहमति हो गई है और जल्द ही कैबिनेट से स्वीकृति ली जाएगी. उसके बाद एक टाइम फ्रेम में जातीय जनगणना को पूरा किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा सभी वर्ग और संप्रदाय के जातियों की जनगणना होगी और एक-एक चीज की गिनती की जाएगी, इससे सब को लाभ होगा.
कैबिनेट में इन 12 एजेंडों पर लगी मुहर..
1. बिहार गवाह सुरक्षा कोष नियमावली 2022 के प्रारूप पर स्वीकृति दी गई है.
2. ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी कोच गया विनोद कुमार को सरकारी सेवा से बर्खास्तगी दंड आरोपित करने की स्वीकृति.
3. बिहार नगर पालिका निर्वाचन नियमावली संशोधन 2022 के प्रारूप पर स्वीकृति.
4. औरंगाबाद के रफीगंज अंचल में 1.7 एकड़ से अधिक गैरमजरूआ जमीन को 90 लाख 57 हजार ₹983 के भुगतान पर डीएफसीसीआईएल परियोजना के निर्माण के लिए डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड रेल मंत्रालय को हस्तांतरित करने की स्वीकृति.
5. बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम के अंतर्गत राजस्व मानचित्र तथा खतियान के विशेष सर्वेक्षण कार्य को 31 मार्च 2024 तक जारी रखने के लिए 8 अरब 80 करोड़ 49 लाख 41 हजार के व्यय और 8802 पदों की अवधि विस्तार की स्वीकृति.
6. डिजिटल इंडिया भू अभिलेख आधुनिकरण कार्यक्रम के तहत 4 वर्षों 2022-23 से 2025- 26 तक अवधि विस्तार के लिए 97 करोड़ 19 लाख ₹39824 की स्वीकृति.
7. वित्तीय वर्ष 2022- 23 में राज्य योजना अंतर्गत बीच वितरण एवं बीज उत्पादन योजना के कार्यान्वयन के लिए 150 करोड़ 98 लाख ₹78760 की स्वीकृति.
8. बिहार राज्य में अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराने के संबंध में स्वीकृति.
9. राज्य के चिन्हित पर्यटन परिपथ में पर्यटकों की सुविधा के लिए मार्ग सुविधा आदि के मानकीकरण हेतु प्रोत्साहन योजना 2022 की स्वीकृति.
10. राज्य के बहुमंजिला भवनों की अग्नि सुरक्षा से बचाव हेतु प्रथम चरण में 62 मीटर ऊंचाई के दो अदद 52 मीटर ऊंचाई के दो अदद और 42 मीटर ऊंचाई के दो अदद अर्थात कुल छह हाइड्रोलिक प्लेटफार्म सर टर्न्टेबल एरियल लेड र के क्रय के लिए 44 करूर 40 लाख की स्वीकृति.
11. महावीर शूरवीर महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को पटना में राजकीय समारोह के रूप में मनाए जाने की स्वीकृति.
12. इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान चिकित्सा सेवा नियमावली 2022 को स्वीकृत एवं लागू करने के संबंध में स्वीकृति.
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केंद्र नहीं करायेगी जातीय जणगणना :यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है. वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं. वहीं बिहार में लगभग सभी दल एकमत हैं कि प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. भाजपा ने इसे लेकर केंद्र के फैसले के साथ खुद को खड़ा रखा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाल में ही इस मुद्दे पर मुलाकात की थी. सीएम लगातार जातीय जनगणना के पक्ष में बयान देते रहे हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में पीएम से मिला था शिष्टमंडल : जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था लेकिन केंद्र सरकार ने साफ मना कर दिया है. अब नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक कर इस पर फैसला लेने की बात कही है. ऐसे में इसमें क्या होता है इसपर सबकी निगाह टिकी रहेगी.
जातीय जनगणना को लेकर सरगर्मी तेज: बिहार में वोट के लिहाज से ओबीसी और ईबीसी बड़ा वोट बैंक है. दोनों की कुल आबादी 52 फीसदी के आसपास माना जाता है. और इसमें सबसे अधिक यादव जाति का वोट है जो 13 से 14% के आसपास अभी मान जा रहा है. जहां तक जातियों की बात करें तो 33 से 34 जातियां इस वर्ग में आती है. ऐसे तो जातीय जनगणना सभी जातियों की होगी लेकिन जेडीयू और आरजेडी की नजर ओबीसी और ईबीसी जाति पर ही है. दोनों अपना वोट बैंक इसे मानती रही है.
1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ: 1931 के बाद जातीय जनगणना नहीं हुआ है. इसलिए अनुमान पर ही बिहार में जातियों की आबादी का प्रतिशत लगाया जाता रहा है. बिहार में ओबीसी में 33 जातियां शामिल है तो वही ईबीसी में सवा सौ से अधिक जातियां हैं. ओबीसी और ईबीसी की आबादी में यादव 14 फीसदी, कुर्मी तीन से चार फीसदी, कुशवाहा 6 से 7 फीसदी, बनिया 7 से 8 फीसदी ओबीसी का दबदबा है. इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कानू, गंगोता, धानुक, नोनिया, नाई, बिंद बेलदार, चौरसिया, लोहार, बढ़ई, धोबी, मल्लाह सहित कई जातियां चुनाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं.
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