पटना:साल2020 में तेजस्वी यादव (10 Lakh Jobs Promise By Tejashwi Yadav) के एक ऐलान ने युवाओं को उम्मीदों से भर दिया था और बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी थी. चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने ऐलान किया था कि राजद की सरकार सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट में युवाओं को रोजगार दिया जाएगा. अब बिहार में महागठबंधन की सरकार (Mahagathbandhan New Government In Bihar) आ चुकी है. ऐसे में बीजेपी पूछ रही है क्या हुआ तेरा वादा? इसके साथ ही शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) कानून को लेकर भी सरकार से सवाल पूछा जा रहा है क्योंकि राजद ने कई बार शराबबंदी कानून को लेकर सीएम नीतीश पर हमला किया था.
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10 लाख लोगों को नौकरी का तेजस्वी का वादा:नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के महागठबंधन में शामिल होने और 7 घटक दलों के साथ सरकार बनाने के बाद शराबबंदी कानून के साथ ही 10 लाख नौकरी देने के वादे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है लेकिन शराबबंदी को लेकर महागठबंधन के घटक दल राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि बिहार में शराबबंदी फेल है. महागठबंधन के नेताओं ने कई बार कानून वापस लेने की मांग तक की थी. इसी तरह तेजस्वी यादव ने 2020 में 10 लाख नौकरी पहली कैबिनेट में देने का वादा किया था जिसका विरोध नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने किया था. सीएम ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी पर निशाना साधा था. लेकिन महागठबंधन की सरकार बनने के साथ ही दोनों के सुर बदल चुके हैं.
तेजस्वी के 10 लाख नौकरियों के वादे पर क्या बोले नीतीश:उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरियों वाले वादे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar On Tejashwi Yadav) ने कहा कि, ''हम कोशिश कर रहे हैं, हमारा पूरा प्रयास रहेगा. 2015-2016 में भी हमने जो कहा था वो किया. उसका दूसरा चरण भी लाया गया. उसके अलावा भी बहुत काम किया है. हमने भी कहा है कि अधिक से अधिक रोजगार मिलना चाहिए.''
बीजेपी के 19 लाख रोजगार पर तेजस्वी ने चला था दांव: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. पटना में संकल्प-पत्र जारी करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच वर्षो में 'आत्मनिर्भर बिहार' बनाने का लक्ष्य रखा था. कहा गया था कि बिहार में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का रोडमैप तैयार किया गया है. अब जब बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूट चुका है. जाहिर है नीतीश कुमार बीजेपी के इस वादे से मुक्त हो गए हैं. लेकिन उनपर अब तेजस्वी के नौकरी देने के वादे को पूरा करने का दबाव होगा. दोनों दलों के नेता नौकरी के मुद्दे पर किस तरह से आगे बढ़ेंगे. इस पर बिहार के युवाओं की नजर रहेगी.
शराबबंदी के खिलाफ था महागठबंधन:माना जा रहा है कि बिहार में शराबबंदी और 10 लाख नौकरी देने के वादे नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की बनी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. शराबबंदी 2016 से लागू है लेकिन महागठबंधन के घटक दल आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई(एम), सीपीआई , सीपीएम सभी शराबबंदी कानून का विरोध करते रहे हैं. बिहार में शराबबंदी को विफल भी बता चुके हैं. शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग भी महागठबंधन कर चुका है. वहीं नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को जनता के हित में लिया गया फैसला बताते हैं.