नवादा: बिहार के नवादा जिले में इन दिनों गृहिणी महिलाओं को पैराग्लाइडिंगकी ट्रेनिंग (Woman Paragliding Training In Nawada) दी जा रही है. यह ट्रेनिंग नरहट प्रखंड अन्तर्गत पुंथर पंचायत के एक छोटे से गांव करमा (Paragliding Training In Karma Village) में दी जा रही है. पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण केंद्र में पर्यटकों और प्रशिक्षण लेने वालों का रुझान भी बढ़ता दिख रहा है. इस दौरान पैराग्लाइडिंग कर चुकी महिलाओं ने अपने अनुभव को साझा कर बताया कि खुले आकाश में उड़ने का अनुभव बहुत ही रोमांचक रहा.
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पुंथर पंचायत के करमा में खुले पहले पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण केंद्र में पर्यटकों और प्रशिक्षण लेने वालों का रुझान बढ़ रहा है. इंजीनियर उमेश विश्वकर्मा के द्वारा ट्रेनिंग पायलट की तैयारी और बेरोजगारों को रोजगार ट्रस्ट के माध्यम से दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य होनहार विद्यार्थियों को पायलट प्रशिक्षण देना है. इसके साथ ही बेरोजगारों को भी इस शिवनारायण चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए प्रशिक्षण देकर रोजगार मुहैया कराना है.
पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग. ये भी पढ़ें:कुष्ठ अब लाइलाज नहीं, रोगियों को 'स्व देखभाल' का मिलेगा प्रशिक्षण
वहीं, नागेंद्र दास ने बताया कि अभी प्रशिक्षु के लिए दो सीटर पैराग्लाइडिंग है. कुछ दिनों बाद 3 सीटर वाला 12 पैराग्लाइडिंग और भी लाया जाएगा. जिससे प्रशिक्षुओं के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. पैराग्लाइडिंग पायलट कुलदीप तार ने बताया कि क्षेत्र में विद्यार्थियों को पायलट की आगे पढ़ाई के लिए विशेष तौर पर गाइडलाइन दिया जाएगा और साथ ही साथ टूरिज्म को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा.
पैराग्लाइडिंग के विशेषता-
- पैराग्लाइडिंग फ्लाइंग पैराग्लाइडर का मनोरंजक और प्रतिस्पर्धी साहसिक खेल है.
- हल्के, फ्री-फ्लाइंग, फुट-लॉन्च ग्लाइडर एयरक्राफ्ट जिसमें कोई कठोर प्राथमिक संरचना नहीं है.
- पायलट एक हार्नेस में बैठता है या एक कपड़े के पंख के नीचे निलंबित कोकून जैसे 'स्पीड बैग' में लेट जाता है.
- पंख का आकार निलंबन रेखाओं द्वारा बनाया जाता है.
- पंख के सामने हवा में प्रवेश करने वाले हवा का दबाव और हवा के वायु गतिकीय बल बाहर की तरफ बहते हैं.
लेक सिल्स सेंट मोरित्ज पर प्रशिक्षक के साथ पैराग्लाइडिंग (लगभग 3,000 मीटर) इंजन का उपयोग न करने के बावजूद भी पैराग्लाइडर उड़ानें कई घंटों तक चल सकती हैं. यह कई सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं. हालांकि एक से दो घंटे की उड़ानें और कुछ किलोमीटर की दूरी तय करना अधिक आदर्श है. लिफ्ट के स्रोतों के कुशल दोहन से पायलट ऊंचाई हासिल कर सकता है. अक्सर कुछ हजार मीटर की ऊंचाई तक चढ़ता है. जिसकी खासियत हवाई जहाज की तरह टेक ओवर और लैंडिंग होता है. इसकी लैंडिंग 50 मीटर जमीन पर होती है.
प्रशिक्षण ले रही सोनी कुमारी ने बताया कि मैं एक गृहणी महिला हूं, खुले आकाश में उड़ने का अनुभव बहुत ही रोमांचक रहा. संतोष कुमार ने भी बताया कि इस तरह का अनुभव मेरी जिंदगी में पहली बार मिला. दिल्ली की रहने वाली रेखा कुमारी ने बताया कि इस गृहणी महिलाओं का आकाश में उड़ना बेहद ही रोमांचक रहा. इस मौके पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले राजेश कुमार, विकास कुमार, प्रियंका कुमारी, राजू कुमार मुकेश कुमार अजय कुमार, समीर राज, आर्यन कुमार समेत कई लोग उपस्थित रहे.
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