नवादा:देशभर में आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में उन शिक्षकों का जिक्र करना बेहद जरूरी हो जाता है, जो जिंदगी के बुरे दौर से गुजरते हुए भी नौनिहालों को पढ़ा रहे हैं. ऐसे ही एक शिक्षक हैं परमानंद प्रसाद उर्फ प्रमोद कुमार, जो दिव्यांग हैं. बावजूद इसके, उनके हौसले बुलंद हैं और वो बच्चों को पढ़ाते नजर आते हैं.
जिले के जिले वारिसलीगंज प्रखंड के मिल्की गांव के प्रमोद सर की क्लास चलती है. प्रमोद कुमार का शरीर कमर के निचले हिस्से से पूरी तरह बेजान है. वो चल नहीं पाते, अपनी खाट में किसी तरह बैठते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. दरअसल, 1992 में एक हादसे के उनका आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया. इलाज के बावजूद वो पूरी तरह ठीक नहीं हो पाये. लेकिन उन्होंने अपना हौसला मजबूत रखा. अपनी जिंदगी के उस हादसे के बारे में बताते हैं.
'शिक्षक की इच्छा पूरा करने के दौरान हुआ हादसा'
प्रमोद बताते हैं कि उनके साथ जब एक्सीडेंट हुआ, तब वो 18 साल के थे. नवादा आईटीआई में ट्रेनिंग कर रहे थे. इस दौरान उनके शिक्षक ने नीम के पेड़ खड़का की डिमांड की. इसके बाद वो रेलवे फाटक के पास स्थित नीम के पेड़ का खड़का चुनने चले गये. तभी उनके ऊपर लोहे की एक भारी रॉड गिर पड़ी और वो बुरी तरह घायल हो गये. इलाज के बाद पता चला कि उनका आधा शरीर बेजान हो गया है.