नवादा:बिहार के नवादा के अलग-अलग क्षेत्रों में मौत का मातम जारी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक जहरीली शराब से पिछले तीन से चार दिनों में 17 लोगों की जहरीली शराबसे मौत की खबर है. प्रशासन लगातार पूरे मामले में लीपापोती कर रहा है.
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अब तक 17 लोगों की मौत
नवादा में अब तक 17 लोगों की जहरीली शराब से मौत की खबर है. मृतकों के परिजनों के कबूलनामे के बाद भी प्रशासन इसे जहरीली शराब से मौत का मामला नहीं मान रहा है. हर मौत की वजह को अलग-अलग बताया जा रहा है. पूरे मामले में अब ईटीवी भारत के हाथ पुख्ता सबूत लगे हैं, ये सबूत चीख-चीख कर बता रहे हैं कि किस तरह से नवादा में जहरीली शराब ने मौत का तांडव मचा रखा है.
शराब से मौत के पुख्ता सबूत
ईटीवी भारत के पास नवादा के सदर अस्पताल के सरकारी दस्तावेज हैं. ये नवादा के सरकारी अस्पताल की पर्ची है, जिस पर मरीज का नाम धर्मेंद्र कुमार लिखा है, जिसकी एक अप्रैल को इलाज के दौरान मौत हो गई. इस पर्ची में इलाज करने वाले डॉक्टर ने खुद धर्मेंद्र कुमार की एल्कोहल यानि शराब से मौत होने की पुष्टि की है. क्या इतना सबूत काफी नहीं है, सरकार को आईना दिखाने के लिए.
मौत के तांडव पर प्रशासन का पर्दा
ये दूसरी पर्ची भी नवादा के सदर अस्पताल की बनी हुई है. जिसमें मरीज का नाम महेश रविदास है. नगर परिषद के सफाई कर्मी महेश रविदास का अभी भी सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है. महेश का इलाज कर रहे डॉक्टर ने पर्ची में बीमार होने की साफ वजह शराब पीना ही बताया है.
शराब कांड के जिंदा गवाह
ये तीसरी पर्ची सीताराम चौधरी की है. जिनकी मेडिकल रिपोर्ट आंख खोलने के लिए काफी है कि किस तरह से मौत के तांडव पर प्रशासन पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है. वहीं, चौथी पर्ची चमारी चौधरी नाम के मरीज की है, जो 31 मार्च को शराब पीने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे. चमारी चौधरी की आंखों की रौशनी जा चुकी है. जो अब जहरीली शराब कांड के खुद जिंदा गवाह हैं.