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गंगा-जमुनी तहजीब की अनोखी मिसाल: एक तरफ मजार तो दूसरी तरफ बसते हैं महावीर हनुमान

गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी तस्वीर नवादा में देखने को मिलती है. यहां मंदिर और मजार (Temple And Mazar In Nawada) दोनों की दीवारें आपस में मिलती है.

Mazar and Hanuman temple
Mazar and Hanuman temple

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Published : Apr 16, 2022, 6:15 AM IST

Updated : Apr 16, 2022, 4:40 PM IST

नवादा:बिहार केपटना-नवादा एनएच-31 पर स्थित मंदिर और मजार साम्प्रदायिक सौहार्द्र का अद्भुत मिसाल पेश करता है. मंदिर और मजार दोनों की दीवारें मिलती है. मंदिर के एक तरफ बाबा बुखारी की मजार तो दूसरी तरफ महावीर हनुमान बसते (Mazar And Hanuman Temple) हैं. यहां हर समुदाय के लोग आते-जाते हैं. गुरुवार और शुक्रवार को मजार पर लोगों की लंबी कतार लगी होती है. जबकि मंगलवार और शनिवार को संकटमोचन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है.

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मजार का इतिहास:कहा जाता है कि बाबा हजरत सैय्यद शाह जलालुद्दीन बुखारी औरंगजेब के समय में सोवियत रूस के बोखरा से यहां सद्भवना का संदेश देने आये थे. अपनी उद्देश्य में वो इतने रम गए की उनकी ख्याति देश में चारों ओर फैल गई. जब उनका देहांत हुआ तो उनके अनुयायियों ने यहां पर मजार बनाया दिया और साथ में याद के तौर पर एक पाकुड़ का पेड़ भी लगा दिया.

प्रत्येक वर्ष उर्स का आयोजन:किवदंतियों का कहना है कि बिहारशरीफ के बाबा मखदूम शाह यहां फातिया पढ़ने अक्सर आया करते थे. कहा जाता है कि जो लोग उर्स पर अजमेर शरीफ किसी कारणवश नहीं जा पाते हैं तो यहीं उर्स पर चादर चढ़ाने के लिए आते हैं. यहां उर्दू महीना का रज्जब 5 और 6 को प्रत्येक वर्ष उर्स का आयोजन होता है.

क्या कहते हैं खादिम मुमताज आलम मुन्ना:मजार का देखरेख कर रहे हलालीउद्दीन के पुत्र मुमताज आलम कहना है कि यहां सब धर्म के लोग आते हैं. यहां जो कोई भी सच्चे मन से अपनी मुरादें मांगता है, उसकी मुरादें जरूर पुरी होती है. यहां से आजतक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है.

मजार के बगल में मंदिर:बाबा बुखारी की मजार के उत्तर-पश्चिम में भगवान बजरंगबली का मंदिर है. इसे संकटमोचन मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां मंगलवार और शनिवार को भक्तों की काफी भीड़ लगी रहती है. इसका भी अपना एक अलग और अद्भुत इतिहास है.

मंदिर का इतिहास:इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना 1931 में श्री श्री 108 जगतगुरु वेदनाथ भगवान जी महाराज ने की थी. यहां एक बाबली है जिसपर जगतगुरु जी ने 40 दिनों तक जलसमाधि लेकर तपस्या की थी. उनमें अद्भुत शक्तियां भी थी.

हर मुरादें होती है पूरी:उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि वो अपने आंत को मुंह के रास्ते से निकाल कर बाबली में डंडे पर रखकर साफ किया करते थे. फिर मुंह के सहारे पेट में डाल लिया करते थे. जो भी भक्त जगतगुरु के पास सच्चे मन से आता था, उनका कष्ट क्षणभर में दूर हो जाता था. कहा जाता है कि बाबा को वाकसिद्धि प्राप्त थी. जब उन्होंने अपने शरीर को त्यागा तो उनके पुत्र द्वितीय संत निरंकारी दास जी महाराज ने 1979 में संकटमोचन मंदिर का निर्माण कर भगवान महावीर हनुमान की स्थापना की थी.

क्या कहते हैं महंथ:मंदिर के महंथ का कहना है कि यहां जो भी सच्चे मन से आते है, भगवान हनुमान उनकी मनकोमना जरूर पूर्ण करती है. यहां हर सम्प्रदाय के लोग आते-जाते रहते हैं. यहां किसी तरह का भेदभाव वाला वातावरण नहीं है.

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Last Updated : Apr 16, 2022, 4:40 PM IST

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