नवादा:जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोखोदेवरा गांव, बहुत ही सुंदर है. सेखो और देवड़ा नामक दो टोलाओं के संयोजन से, सोखोदेवरा गांव का निर्माण किया जाता है. गांव में सर्वोदय आश्रम है जिसे 1954 में जयप्रकाश नारायण ने स्थापित किया था. इस आश्रम में आज भी आंदोलन के जनक भारत रत्न जयप्रकाश नारायण की अविस्मरणीय स्मृतियों को संजोए रखा गया है. यहां से स्वराज्य, स्वदेशी, भ्रष्टाचारमुक्त और लोकतंत्र की कल्पना करनेवाले विचारों की खुशबू मिलती है.
बता दें कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि है. जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. इस गांव के हर जन के हृदय में आज भी जेपी जी बसे हुए हैं. पहाड़ियों के तलहट्टी में बसा यह गांव जेपी के स्मृतियों का प्रमुख केंद बना हुआ है. यहां पहुंचने के बाद आत्मशांति की अनुभूति होती है. इस आश्रम की स्थापना जेपी ने 1954 में की थी. आश्रम के एक कोने में निवास स्थान है जहां वो विनोवा भावे, देश के जानेमाने व्यक्त्वि के साथ रणनीति बनाया करते थे. उनके निवास स्थान के पीछे वाले हिस्से में एक फुस का कुटिया है जहां अपने शुभचिंतक और आम लोगों से वो मिलते रहते थे. उनके निवास स्थान में रखे उपभोग की वस्तु आज भी उनके सादगी को जीवंतता प्रदान कर रही है.
जेपी कैसे पहुंचे सोखोदेवरा
जेपी ने आजादी से पहले महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्हें इस दौरान अंग्रेजों ने हजारीबाग जेल में बंद कर दिया था. लेकिन उनके जेहन में आजादी की आग धधक रही थी. अपनी आजादी की हसरतें पूरी करने के लिए वो जेल से फरार हो गए और अंग्रेजों से नजर बचाते हुए कौआकोल के पहाड़ी पर आ छिपे. फिर कुछ दिनों बाद जब सोखोदेवरा पहुंचे तो गांववालों की हालत देख मर्माहत हो उठे. वो लोगों की आर्थिक उथान के लिए घर-घर जाकर सूत कातने के लिए प्रेरित करते रहे. धीरे-धीरे लोगों का झुकाव स्वरोजगार की ओर बढ़ने लगा और लोग उनसे जुड़ते चले गए.