बिहार

bihar

ETV Bharat / state

इस गांव से जुड़ी है जेपी की कई यादें, आज सरकारी उपेक्षा का शिकार है सर्वोदय आश्रम - सरकार की अनदेखी

नवादा के सोखोदेवरा गांव में जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित सर्वोदय आश्रम 86 एकड़ में फैला हुआ है. यहां जयप्रकाश नारायण की अविस्मरणीय स्मृतियों को संजोकर रखा गया है. लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण यह धरोहर खतरे में है.

सर्वोदय आश्रम का अस्तित्व खतरे में

By

Published : Oct 8, 2019, 9:46 AM IST

Updated : Oct 8, 2019, 3:15 PM IST

नवादा:जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोखोदेवरा गांव, बहुत ही सुंदर है. सेखो और देवड़ा नामक दो टोलाओं के संयोजन से, सोखोदेवरा गांव का निर्माण किया जाता है. गांव में सर्वोदय आश्रम है जिसे 1954 में जयप्रकाश नारायण ने स्थापित किया था. इस आश्रम में आज भी आंदोलन के जनक भारत रत्न जयप्रकाश नारायण की अविस्मरणीय स्मृतियों को संजोए रखा गया है. यहां से स्वराज्य, स्वदेशी, भ्रष्टाचारमुक्त और लोकतंत्र की कल्पना करनेवाले विचारों की खुशबू मिलती है.

बता दें कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आज पुण्यतिथि है. जयप्रकाश नारायण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. इस गांव के हर जन के हृदय में आज भी जेपी जी बसे हुए हैं. पहाड़ियों के तलहट्टी में बसा यह गांव जेपी के स्मृतियों का प्रमुख केंद बना हुआ है. यहां पहुंचने के बाद आत्मशांति की अनुभूति होती है. इस आश्रम की स्थापना जेपी ने 1954 में की थी. आश्रम के एक कोने में निवास स्थान है जहां वो विनोवा भावे, देश के जानेमाने व्यक्त्वि के साथ रणनीति बनाया करते थे. उनके निवास स्थान के पीछे वाले हिस्से में एक फुस का कुटिया है जहां अपने शुभचिंतक और आम लोगों से वो मिलते रहते थे. उनके निवास स्थान में रखे उपभोग की वस्तु आज भी उनके सादगी को जीवंतता प्रदान कर रही है.

सर्वोदय आश्रम

जेपी कैसे पहुंचे सोखोदेवरा
जेपी ने आजादी से पहले महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उन्हें इस दौरान अंग्रेजों ने हजारीबाग जेल में बंद कर दिया था. लेकिन उनके जेहन में आजादी की आग धधक रही थी. अपनी आजादी की हसरतें पूरी करने के लिए वो जेल से फरार हो गए और अंग्रेजों से नजर बचाते हुए कौआकोल के पहाड़ी पर आ छिपे. फिर कुछ दिनों बाद जब सोखोदेवरा पहुंचे तो गांववालों की हालत देख मर्माहत हो उठे. वो लोगों की आर्थिक उथान के लिए घर-घर जाकर सूत कातने के लिए प्रेरित करते रहे. धीरे-धीरे लोगों का झुकाव स्वरोजगार की ओर बढ़ने लगा और लोग उनसे जुड़ते चले गए.

सर्वोदय आश्रम सरकारी उपेक्षा का है शिकार

सरकार की अनदेखी
जेपी द्वारा निर्मित ग्राम निर्माण मंडल संस्था के सचिव अरविंद कुमार बताते हैं कि यह आश्रम लगभग 86 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें खादी ग्राम उद्योग, प्रशिक्षण केंद्र, छात्रावास और कृषि विज्ञान केंद्र है जिसका संचालन उनके द्वारा बनाए गए ग्राम निर्माण मंडल की ओर से किया जाता है. इसमें प्रशिक्षण देनेवाले अध्यापक और कर्मचारियों के रहने के लिये आवास सभी सुविधाओं से लैस था लेकिन जब से सरकार की ओर से ग्रांट मिलना बंद हो गया तब से कर्मचारी लोग यहां से पलायन कर गए.

नवादा से ईटीवी भारत के संवाददाता की रिपोर्ट

जन्मतिथि और पुण्यतिथि में भी यहां आना भूल जाते है अनुयायी
श्रीकुमार बताते हैं जयप्रकाश नारायण की जन्मतिथि या पुण्यतिथि पर भी अनुयायी यहां नहीं आते हैं. सरकार की उदासीन रवैये के कारण हम अपने स्तर से उस दिन कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इनका कहना है कि इनसे जितना बन पाता है उतना विरासत को संभालने की कोशिश करते हैं.

सरकार से मदद की आस
ऐसे में सवाल यह है कि यदि गांधी जी का साबरमती आश्रम एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है तो सेखोदेवरा का यह सर्वोदय आश्रम क्यों नहीं? जबकि देश के शीर्ष पदों पर जेपी के अनुयायियों का वर्चस्व है फिर जेपी का यह आश्रम उपेक्षित है. अगर सरकार की ओर से पूर्ण रूप से सहयोग मिले तो इस विरासत और जेपी के स्मृति को संजोया जा सकता है.

Last Updated : Oct 8, 2019, 3:15 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details