नवादा: जिले की सकरी नदी पर अपर सकरी जलाशय योजना दशकों से अधर में लटका हुआ है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर ने 20 अक्टूबर 1984 को इस जलाशय का शिलान्यास किया था, लेकिन आज तक इसे शुरू नहीं किया जा सका. इसके शुरू हो जाने से लगभग 26 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है. लेकिन हर बार सिर्फ डीपीआपर में बदलाव होता रहता है.
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना का प्रारूप तैयार किया था, जिसे अपर सकरी जलाशय योजना नाम दिया गया था. अपर सकरी जलाशय इसलिए नाम रखा गया क्योंकि यह योजना जिले के सकरी नदी पर क्रियान्वयन होनी थी. किसानों के प्रति विशेष लगाव होने के कारण उन्होंने अपने कार्यकाल में कई जलाशयों का निर्माण कराया जिसका फायदा लोगों ने वर्षों तक उठाया भी. मगर बाद की सरकारों का किसानों के प्रति उदासीनता ने उनके सपनों पर ग्रहण लगा दिया. जिसके फलस्वरूप आज करीब 26 हजार हेक्टेयर सिंचित भूमि पानी के लिए तरस रही है.
चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है अपर सकरी जलाशय
यूं तो चुनाव खत्म होने के साथ कुछ मुद्दे खत्म हो जाते हैं लेकिन अपर सकरी जलाशय योजना एक ऐसा मुद्दा बनकर रह गया है जिसे हर पार्टी और दल के लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते हैं. हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव 2019 में भी उम्मीदवारों ने इसे मुद्दा बनाया था. अपर सकरी जलाशय योजना को ससमय मूर्तरूप दे दिया जाता तो शायद ही यह मुद्दा बनता. हालांकि नवादा से सांसद रहे दिवंगत भोला सिंह ने यहां की समस्या को उच्च सदन में उठाया था, लेकिन वे भी अपने पांच साल के कार्यकाल में इसे मूर्तरूप नहीं दिलवा सके.