नवादाः गांव की मिट्टी की सुगंध ऐसी होती है, जो कई लोगों को विदेश से भी खींच लाती है. ऐसा ही हुआ जिले के रहने वाले राजीव कश्यप के साथ, जिनकी सोच ने उन्हें मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ने पर मजबूर कर दिया और वो अपने गांव लौट आए. अब वह गांव में ही डेयरी फॉर्म चला रहे हैं. नवादा सांसद चंदन सिंह ने इनकी डेयरी फॉर्म का निरीक्षण भी किया है.
बर्मा में नौकरी करते थे राजीव कश्यप
जिले के बुधौल पंचायत के जंगली बेलदारी के रहने वाले राजीव कश्यप दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त कर बर्मा में एक अच्छे पैकेज पर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब की. लेकिन उसे छोड़कर अपने गांव आ गए और यहां उन्होंने डेयरी फॉर्म शुरू किया. आज राजीव लोगों को घर तक शुद्ध दूध पहुंचा रहे हैं. इतना ही नहीं वह अपनी गायों के लिए हरा चारा भी खुद ही तैयार करते हैं. ताकि फॉर्म में मैजूद गायें दूध ज्यादा मात्रा में दें.
हमेशा करते हैं कुछ नया काम
राजीव हमेशा कुछ नया करने की सोचते रहते हैं और उसी सोच पर एक्सपेरीमेंट करते रहते हैं. जिसका नतीजा यह होता है कि वह सोच इनके लिए जरूरत बन जाती है. कुछ दिन पहले वह 6 विदेशी नस्ल की काली मुर्गियां लाएं, जो गाय के गोबर से निकलनेवाले कीड़े को खाती हैं. जिससे गोबर से निकलनेवाले कीड़े खत्म हो जाते हैं. गायें भी कीड़े से होने वाली बीमारियों से बच जाती हैं.