नवादा: दीपावली आगामी 14 नवंबर को मनाई जाएगी. इस अवसर पर लोगों ने दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी शुरू कर दी है. बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद कर रहे हैं. वहीं, चाइनीज दीयों से मोहभंग के चलते मिट्टी के दीयों की मांग भी बढ़ी है. इस बार गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों से लेकर दीए तक की मांग जोरो पर चल रही है.
कुम्हारों को अच्छी आय की आस
दीपावली पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्हारों के चाक ने रफ्तार पकड़ ली है. कुम्हारों को इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है. मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं.
कुम्हारों को मुनाफे की जगी आस दीपक की बिक्री बढ़ने की उम्मीद
कुम्हारों को इस बार उम्मीद है कि कुछ ज्यादा दीपक की बिक्री होगी क्योंकि चाइना के बने सामना की खरीदारी बंद हो गई है. पिछले साल करीब तीस हजार दीपक और मिट्टी के अन्य सामान बेचे थे. इस बार उम्मीद है कि 50 हजार से 60 हजार तक दीपकों की बिक्री होगी.
चाक से बनती हैं मिट्टी की कई चीजें
अब इलेक्ट्रिक चाक होने से काम तेजी से होता है. पहले हाथ का चाक होता था लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक चाक से फटाफट दीपक और अन्य सामान तैयार किया जाता है. बिजली न आने की स्थिति में हाथ का चाक भी तैयार रखा जाता है ताकि काम प्रभावित न हो. चाक से दीपक, घड़ा, करवा, गमला, गुल्लक, गगरी, मटकी,और बच्चों की चक्की समेत अन्य उपकरण बनाए जाते हैं.
मिट्टी के बर्तन बनाता कुम्हार कुम्हारों को ईंधन पड़ता है महंगा
मिट्टी चाक पर चढ़ने के बाद एक रूप दे देते हैं पर उसको पक्का करने के लिए मिट्टी को पकाया जाता है. पहले ईंधन इतना महंगा नहीं था पर अब ईंधन भी कुम्हारों के पसीने छुड़ा देता है.
50-60 रुपए बिकते हैं 100 दीये
कुम्हार बिक्री के लिए दीये की अलग-अलग वैरायटी बनाने लगे हैं. कुम्हारों ने बताया कि 50 रुपए में करीब 100 दीये बेचे जाते हैं. लेकिन दीया बनाना ही परेशानी का सबब नहीं बल्कि बिक्री करने में भी काफी दिक्कतें होती है. धनतेरस से लेकर दीपावली के दिन तक दीये की बिक्री करते हैं.
दिवाली पर कुम्हारों को अच्छी आय की आस प्राचीन संस्कृति के लिहाज से मिट्टी के दीपकों का ही दीपावली में महत्व होता है इसे बच्चे और युवा खूब अच्छे से जान रहे हैं. यही वजह है कि अब चाइना के उत्पादों को छोड़कर स्वदेशी दीपकों की मांग बढ़ रही है. बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता कहते हैं कि हम दिवाली पर कुम्हारों के द्वारा बने मिट्टी के दीपक ही जलाएंगे. साथ ही अन्य लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं.