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मधेपुरा शहर में विकास के दावे की खुली पोल, गंदगी और सड़ांध के बीच रहने को मजबूर हैं लोग

पीड़ित मुहल्ला वासियों ने कई बार डीएम और नगर परिषद के अधिकारी को लिखित सूचना देकर जल जमाव और गंदगी से निजात दिलाने की मांग की. लेकिन अधिकारी भी चुप्पी साध गये.

कचड़े का अंबार

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Published : Jul 28, 2019, 9:54 AM IST

मधेपुरा:मधेपुरा का वीवीआईपी कहा जाने वाला लक्ष्मीपुर मुहल्ला के लोग नर्क में जीवन जीने को मजबूर हैं. सरकार और जिला प्रसाशन भले ही विकास के लाख दावे कर रही हो, लेकिन इस मुहल्ले की मुख्य सड़क पर महीनों से जमे गंदा पानी और कचड़े का अंबार विकास के सारे दावों की पोल खोल रही है. सबसे दुखद और उल्लेखनीय बात यह है कि इस वीवीआईपी मुहल्ले के लोग गंदगी और कचड़े के सड़ांध पर सुअर के साथ रहने और आने जाने को मजबूर हैं.

नाली निर्माण कार्य की राशि को डकार गये ठेकेदार
बता दें कि इसी मुहल्ले के बगल में डीएम, एसपी, जिला और सत्र न्यायाधीश का आवास भी है. जहां पर चकाचक सड़कें और रौशनी की पुख्ता व्यवस्था है. लेकिन बगल के मुहल्ले में गंदगी का अंबार लगा है. लोगों का कहना है कि शहर से पानी निकासी के लिए नाला निर्माण के नाम पर 6 करोड़ रुपये तो खर्च जरूर किये गये. लेकिन नाली निर्माण का कार्य आधे अधूरा करके अधिकारी और ठेकेदार राशि की निकासी कर डकार गये. जिसके कारण किसी भी मुहल्ले के पानी की निकासी नहीं हो पा रही है. हालत ऐसी हो गई है कि जहां भी पानी जमा हो जाता है, वहीं पर सड़कर बदबू करने लगता है.

गंदगी के बीच में रहने को मजबूर हैं मोहल्लेवासी

क्या कहते हैं अधिकारी
पीड़ित मुहल्ला वासियों ने कई बार डीएम और नगर परिषद के अधिकारी को लिखित सूचना देकर जल जमाव और गंदगी से निजात दिलाने की मांग की. लेकिन अधिकारी भी चुप्पी साध गये. नगर परिषद के डिप्टी चेयरमैन अशोक कुमार ने कहा कि पानी निकासी, गंदगी और कचड़े से स्थाई निदान की व्यवस्था अविलंब की जाएगी.

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