नवादा: जिले के शहरी व ग्रामीण इलाके में डेंगू बीमारी ने अपना पैर जमाना शुरू कर दिया है. यहां आम लोगों के साथ-साथ अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित हैं. वहीं, जिस अस्पताल पर जिले के 25 लाख जनता का देखरेख का भार है, उस अस्पताल में डेंगू जांच करने लिए किट नहीं है.
डेंगू विमारी से तीन लोग मौत
बीते सप्ताह में डेंगू के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. साथ ही अब तक डेंगू की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें मेसकौर प्रखंड के ढोढर गांव निवासी कुंदन कुमार हैं. वहीं, कुछ दिन पहले गोविंदपुर गांव में एक बच्ची शालू कुमारी की मौत भी डेंगू से हो गई थी. साथ ही महिला प्रसूति विभाग में कार्यरत जीएनएम गिरिजा देवी की मौत भी डेंगू की वजह से ही हुई थी.
अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट अधिकारी भी डेंगू से पीड़ित
बताया जाता है कि गोविंदपुर के बीडीओ भी डेंगू का इलाज पटना में करवा रहे है. वहीं, प्रसाद बिगहा स्थित एक परिवार के कई सदस्यों में इस बीमारी का लक्षण पाया गया है, जिसे ईलाज के लिए पटना जाना पड़ा है. इतना सबकुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम साबित हो रही है.
अस्पताल में नहीं है एनएस-1 एंटीजेन किट
सदर अस्पताल में डेंगू के मरीजों की जांच के लिए एनएस-1 एंटीजेन किट भी मौजूद नहीं है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से रखा जाना है. इलाज कराने पहुंचे मरीज की जांच कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) से प्राप्त आंकड़े के आधार पर किया जा रहा है, जो कि मानक के अनुकूल नहीं है.
अस्पताल में नहीं है बेड की व्यवस्था
सदर अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए पांच बेड वाला 1 वार्ड की व्यवस्था करने की बात तो कही गई थी, लेकिन अस्पताल में अभी तक इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दे रही है. इसके कारण दर्जनों डेंगू से पीड़ित मरीज निजी क्लिनिक में अपना इलाज करावा रहे है.