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नवादा: जर्जर भवन, छत से झांकते सरिए, गंदगी का अंबार, ये है अस्पताल का हाल - धमौल गांव

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हालत ये है कि यहां इंसान कम जानवर ज्यादा दिखते हैं. भवन जर्जर हो चुका है. शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. दरवाजे टूटे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 15-20 वर्षों से इसकी हालात ऐसी ही हो गई है.

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

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Published : Sep 22, 2019, 5:37 PM IST

नवादा:सूबे के मुखिया बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चाहे लाख दावे कर ले, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों की स्थिति बद से बदतर है. इसकी बानगी जिले के धमौल गांव में वर्षों पहले बने अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देखी जा सकती है. मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया यह स्वास्थ्य केन्द्र अब जर्जर हो चुका है. लेकिन जिम्मेदारों की कुम्भकर्णी नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.

पेश है एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

खुद बीमार है अस्पताल
जिले की जनता को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था उपल्बध कराने के लिए पकरीबरावां प्रखंड के धमौल गांव में वर्षों पहले अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. कभी यहां मरीजों की लाइन लगा करती थी. लेकिन आज हालत ये है कि यहां इंसान कम जानवर ज्यादा दिखते हैं. भवन जर्जर हो चुका है. शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. दरवाजे टूटे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 15-20 वर्षों से इसकी हालात ऐसी ही हो गई है. लोगों का कहना है कि जब अस्पताल खुद ही बीमार है तो हमारा इलाज क्या हो पाएगा.

अस्पताल में लगा गंदगी का अंबार

गेट टूट गए लेकिन कुम्भकर्णी नींद नहीं टूटी
इलाके के लोगों ने बताया कि 1985 में बने उपकेंद्र को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया लेकिन फिर भी इसकी सूरत नहीं बदल सकी. लोगों ने बताया कि अस्पताल में अक्सर ताला लगा रहता है. काफी दिन से बंद रहने के कारण इसके गेट भी टूट चुके हैं. उन्होंने बताया कि यहां एक डॉक्टर और दो एएनएम नियुक्त किए गये हैं. लेकिन कौन कब आता है इसका पता नहीं चलता.

टूटे पड़े दरवाजे

नहीं मिल सका लाभ
जिले के बॉर्डर इलाके में अवस्थित यह गांव तीन जिलों से घिरा हुआ है. जिसमें नवादा, जमुई और शेखपुरा जिले के शामिल हैं. यहां बने अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से करीब 25 हजार परिवारों को लाभ मिल सकता है लेकिन विडंबना यह है कि जब से यह बना है. तब से आज तक किसी को भी इसका लाभ नहीं मिल सका है.

छत से झांकते सरिए

डॉक्टरों का आभाव
सिविल सर्जन श्रीनाथ प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि भवन काफी टूटा-फूटा हुआ है. सारी एएनएम वहां टीकाकरण के लिए जाती हैं. आयुष डॉक्टर बैठते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पास डॉक्टरों का अभाव है. जिले में 280 डॉक्टरों में सिर्फ 70 डॉक्टरों से काम चलाना पड़ रहा है. इनमें भी कुछ को जरूरत के हिसाब से लगाया जाता है. हालांकि सभी को निर्देश दिया गया कि, वह नियमित रूप से वहां जाएं.

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