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अर्जक परंपरा से विवाह संपन्न, न पंडित न मंत्र, बेहद कम समय और खर्च में हुई शादी - शादी

रविवार की रात वैदिक रीति रिवाजों को त्यागकर अर्जक पद्धति से नारदीगंज प्रखंड के गोतराईन गांव में शादी संपन्न हुई. मौके पर मौजूद लोगों ने अर्जक पद्धति को सराहते हुए सबसे बढ़िया और उपयोगी बताया.

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Published : Jun 29, 2020, 7:15 PM IST

नवादा(नारदीगंज): जिले के नारदीगंज प्रखंड के गोतराईन गांव में रविवार की रात वैदिक रीति रिवाजों को त्यागकर अर्जक रीति रिवाज से शादी संपन्न हुई. इसकी अध्यक्षता अर्जक संघ सांस्कृतिक समिति के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र पथिक ने की.

रविवार की रात गोतराईन निवासी संजय प्रसाद अदरखी की पुत्री प्रीति कुमारी की शादी रजौली थाना के धामुचक निवासी रामाशीष प्रसाद के पुत्र रायकेल कुमार के साथ अर्जक पद्धति से हुई. विवाह का प्रतिज्ञापन अर्जक नेता एवं शिक्षक राकेश कुमार ने कराया. विवाह उपरांत वर और वधु को विवाह प्रतिज्ञापन की प्रति उपलब्ध कारायी गयी. मंच का उद्घाटन करते हुए नेता उमाकांत राही ने पुरानी और नयी परंपरा के अंतर को समझाया.

पूरे देश में लोकप्रिय हो रही अर्जक पद्धति
समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अर्जक नेता श्री पथिक ने कहा कि कम समय, कम खर्च और कम परेशानी में इस पद्धति से शादी संपन्न होती है. साथ ही मानववादी व्यवस्था स्थापित करना, समतामूलक समाज और वैज्ञानिक सोच उत्पन्न करना ही अर्जक विवाह पद्धति की विशेषता है. इस कारण पूरे देशभर में यह पद्धति लोकप्रिय हो रही है.

लोगों ने अर्जक पद्धति को सराहा
इस अवसर पर अर्जक गायककार सुरेन्द्र प्रसाद ने अपने गीतों के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुरीतियों को समाप्त कर अर्जक संस्कृति कायम करने पर बल दिया. समारोह को अन्य अर्जकों के अलावा प्रो भागवत प्रसाद, संजय अदरखी, अवधेश शर्मा, मनोज कुमार, प्रियतम कुमार,कमलेश पासवान, रीता मेहता, भीम नारायण मेहता, नरेश दांगी, घनश्याम प्रसाद आदि ने वर वधु को मंगलकामना करते हुए अर्जक पद्धति को सबसे बढ़िया और उपयोगी बताया.

क्या है शादी की अर्जक परंपरा

इस‌ विवाह में न तो ब्राह्मण की आवश्यकता पड़ती है और न संस्कृत में श्लोक या मंत्र पढ़ा जाता है. कोई वैदिक कर्मकांड या‌ विधि भी नहीं अपनायी जाती है. बेहद ही कम समय, कम खर्च और कम परेशानी में अर्जक विवाह पद्धति से शादी होती है. कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग और कम खर्च के लिहाज से भी अर्जक परंपरा काफी उपयोगी माना जा सकता है.

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