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नवादा में RJD से बागी निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव की जीत, RJD और NDA उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया - ईटीवी बिहार न्यूज

नवादा से आरजेडी के बागी निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव ने एमएलसी चुनाव में (Bihar Legislative Council Election) शानदार जीत हासिल की है. अशोक यादव ने 544 वोटों से एक बड़ी जीत को अपने नाम किया है. आरजेडी से टिकट नहीं मिलने पर अशोक यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..

नवादा में निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव की शानदार जीत
नवादा में निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव की शानदार जीत

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Published : Apr 7, 2022, 7:17 PM IST

नवादा:बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar MLC Election 2022) की 24 सीटों को लेकर मतगणना खत्म हो गई है. नवादा से RJD के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव ने 544 वोटों से शानदार जीत हासिल की है. अशोक यादव ने एनडीए के सलमान रागिब और राजद के प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा को पछाड़ते हुए जीत (Ashok Yadav Win MLC Election From Nawada) दर्ज की. उनकी जीत पर उनके समर्थकों ने ढोल बजाकर खुशियां मनायी.

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RJD और एनडीए प्रत्याशी को पीछे छोड़ा:एमएलसी चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव को 1266 वोट मिले वहीं, दूसरे नंबर पर आरजेडी के प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा को 722 मत और तीसरे नंबर पर एनडीए के प्रत्याशी सलमान रागीब को 717 मत प्राप्त हुए. निर्दलीय प्रत्याशी अशोक यादव ने 544 वोटों से एक बड़ी जीत दर्ज की. फिलहाल अशोक यादव नारदीगंज पूर्वी से जिला परिषद सदस्य के पद पर थे. इस पद पर भी उन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल किया थी.


RJD ने श्रवण कुशवाहा को बनाया था प्रत्याशी:अशोक यादव पहले आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले थे. लेकिन आरजेडी ने अशोक यादव को टिकट नहीं दिया और श्रवण कुशवाहा को आरजेडी का प्रत्याशी बनाया. जिसके बाद अशोक यादव ने RJD से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया. जिसमें उन्हें शानदार जीत मिली है.

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आम चुनाव की तरह नहीं होती काउंटिंग: विधान परिषद के इस चुनाव में एक से ज्यादा प्रत्याशियों को वोट देने का विकल्प रहता है. बैलेट पेपर पर वरीयता क्रम में अपनी पसंद का चुनाव करना होता है. पहले प्रथम वरीयता के वोट की गिनती होती है और प्रत्याशी को जीत के लिए कुल वोटों में से 50% से अधिक वोट लाना होता है. यदि 50% से अधिक वोट नहीं मिला, तो फिर दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होती है और सबसे कम प्रथम वरीयता के वोट लाने वाले प्रत्याशी को हटा दिया जाता है. उसके बैलेट पेपर में मिले दूसरी वरीयता के वोट को संबंधित प्रत्याशी के वोट में जोड़ दिया जाता है. वोटों की गिनती की प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक 50% से एक भी अधिक वोट नहीं आ जाता है और इसके कारण मतगणना में अधिक समय लगता है.


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