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नवादा: लगातार हो रही बारिश से कच्चा मकान हुआ घारशायी, सरकार से लगाई मदद की गुहार - परिवार छत विहीन

पीड़ित रविंद्र का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बार-बार अनुरोध के बाद भी मुझे उसका लाभ आज तक नहीं मिला. घर की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि मैं तत्काल मकान बना सकूं.

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Published : Jul 15, 2020, 2:46 AM IST

नवादा: लगातार हो रही बारिश के कारण हिसुआ प्रखंड अंतर्गत कैथिर ग्राम में एक कच्चा खपरैलनुमा घर गिरकर धाराशायी हो गया. मकान पूरी तरह से मलबे में तब्दिल हो चुका है. हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.

'बारिश ने छिना छत'
लेकिन, एक पूरा परिवार छत विहीन हो चुका है. पीड़ित रविन्द्र ठाकुर के परिजनों ने बताया कि इस बारिश ने उसके सिर पर से छत का साया छिन लिया है. उन्होंने घर के मलबे से कुछ जरूरी सामान को निकालकर पड़ोसी के घर में शरण लिया है.

फूट-फूटकर रो रहे बच्चे
मकान के गिराने के बाद से पीड़ित के बच्चे फूट-फूट कर रो रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि पहले ही रोटी के लाले पड़े हुए थे और अब ऊपर से सिर पर से छत का साया भी छिन गया है. हालांकि, घटना के बाद स्थानीय समाजसेवी और पंचायत के मुखिया ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया है.

घर गिरने के बाद रोता पीड़ित परिवार

मुखिया नीरज कुमार ने कहा कि ये सभी बेहद गरीब परिवार से आते हैं. मकान का दीवार मिट्टी का बना हुआ था. उसके ऊपर से खपरैल था. घटना के बाद से पूरे परिवार को मनोबल टूट चुका है. उन्होंने कहा कि मामले के बारे में अंचलाधिकारी हिसुआ नितेश कुमार को सूचना दे दी गई है. जल्द ही पीड़ित परिवार को पक्का मकान उपलब्ध बनवा दिया जाएगा. इसके लिए वे हरसंभव कोशिश करेंगे.

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आंसू बता रहे सरकार की नाकामी
गौरतलब है कि नीतीश सरकार हमेशा से ही राज्य में विकास का दंभ और खुद का पीठ थपथपाते नहीं थकते. लेकिन सरकार की ओर से किये गए विकास के वादे फिलहाल धरातल से मिलों दूर हैं. बता दें कि गरीबों के लिए पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार पीएम आवास योजना भी चला रही है. सरकार का दावा है लगभग सभी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध करा दिया गया है. लेकिन नवादा में गिरे कच्चे मकान और पीड़ितों के आंसू सबकुछ खुद बयां कर रहे हैं.

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नहीं मिला कोई सरकारी मदद
पीड़ित रविंद्र का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बार-बार अनुरोध के बाद भी मुझे उसका लाभ आज तक नहीं मिला. घर की आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि मैं तत्काल मकान बना सकूं. इसके चलते मुझे कच्चे मकान में रहने की विवशता थी. बता दे कि कान गिरने की पीड़ा इलाके में केवल रविंद्र की नहीं है. बल्कि इस तरह के कई कच्चे मकान या झोपड़ी इस बरसात में गिर चुकी हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि विकास का दंभ भरने वाली नीतीश सरकार और केंद्र सरकार को धरातल पर अभी कई काम करने बाकी हैं.

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