नवादाः जिले के स्वास्थ्यकर्मी पिछले चार महीनों से बिना छुट्टी के अपनी सेवाएं दे रहे हैं. सरकार के हर आदेश को पूरा करने में ये हमेशा तत्पर दिखे, चाहे डोर टू डोर कोविड-19 खोज अभियान हो या रैपिड रेस्पॉन्स टीम के तहत कार्य या फिर आइसोलेशन सेंटर में मरीजों का इलाज. हर मोर्चे पर यह डटे रहे.
मैनपॉवर की कमी के कारण स्वास्थ्यकर्मी रात-रात तक काम करते रहे, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी न सरकार की ओर से मैनपॉवर बढ़ाया गया न ही प्रोत्साहन के लिए एक महीने का वेतन दिया गया.
22 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जारी हुई पदस्थापना सूची
कर्मियों को ओवर नाईट काम करने पर जो भोजन और पैसे मिलने थे, वो भी आज तक नहीं मिले. फिर भी लोगों की सेवाओं में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी डटे हुए हैं. स्वास्थ्यकर्मियों पर बढ़ रहे काम के दबाव को कम करने के लिए बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने जिले में 22 विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना की सूची जारी की है, लेकिन अभी तक उनकी सेवाएं लोगों को नहीं मिल पा रही है.
वहीं, सरकार के जरिए संजीवनी एप्प और टेलिमेडिसिन की शुरुआत करने से भी थोड़ी राहत मिली है. सभी एएनएम और जीएनएम को कोविड-19 सैंपल जांच और अन्य तकनीकी का प्रशिक्षण दिया गया. जिससे मैनेजमेंट टीम में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को राहत मिली है.
जिले में मात्र 75 डॉक्टर बहाल
जिले की आबादी करीब 30 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है. जिनके स्वास्थ्य की देखभाल को जिले में मात्र 75 डॉक्टर बहाल है. बात अगर सदर अस्पताल की करें तो यहां कुल 72 चिकित्सकों के स्वीकृत पद पर मात्र 10 चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में नवादा की आम जनता का इलाज भगवान भरोसे ही होता है. फिलहाल, स्पेशलिस्ट डॉक्टर के मिलने से स्वास्थ्य व्यवस्था में बदलाव की संभावनाएं जताई जा रही है.
संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका
कोरोनाकाल में जिले के लिए संविदा स्वास्थ्यकर्मी संकटमोचन बनकर उभरे हैं. पिछले चार महीने से अपने जिम्मे के कार्यों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के सभी आदेशों को पूरा करने के लिए ये दिन रात मेहनत कर रहे हैं. इस बीच दर्जनों संविदा स्वास्थ्यकर्मी पॉजिटिव भी हुए हैं. जिला स्वास्थ्य समिति में एकाउंट मैनेजर पद पर तैनात अमरेंद्र कुमार आर्या खुद पूरे परिवार सहित कोरोना की चपेट में आ गए थे. बावजूद 14 दिन के होम आइसोलेशन में रहने के बाद अपने कार्यों में जुट गए.