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स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही: बंध्याकरण के बाद मरीजों को ठंड में फर्श पर सुलाया

परिवार स्वास्थ्य माह कार्यक्रम के तहत मनीछापरा बड़हरा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में महिलाओं का बंध्याकरण किया गया. लेकिन ऑपरेशन के बाद महिलाएं बेड की जगह जमीन पर सोने को मजबूर दिखी. जिससे कि स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है.

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Published : Feb 13, 2021, 12:19 PM IST

जमीन पर बैठी महिलाएं
जमीन पर बैठी महिलाएं

स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही: बंध्याकरण के बाद मरीजों को ठंड में फर्श पर सुलाया

नवादा: रजौली में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. कड़ाके की ठंड में महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन करने के बाद उन्हें जिंदगी और मौत से जुझने की स्थिति में जमीन पर सुला दिया गया. जिससे कड़कड़ाती ठंड में महिलाएं जमीन पर ही ठिठुरती रही.

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महिलाओं का किया गया था ऑपरेशन
बता दें कि परिवार नियोजन के तहत बंध्याकरण के ऑपरेशन के लक्ष्य पूरा करने को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रजौली के महिलाओं का ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद पीएचसी का लक्ष्य तो पूरा हो गया, लेकिन बंध्याकरण करा चुकी महिलाओं के जीवन दांव पर लग गए. कड़ाके की ठंड में लोगों को गर्म कपड़े और अलाव की जरूरत होती है. लेकिन जरा सोचिए बंध्याकरण का ऑपरेशन करा चुकी महिलाओं के ऊपर क्या बीत रही होगी जब उन्हें जमीन पर सोने को मजबूर होना पड़ा.

एसडीओ को दी गई सूचना
मरीजों के परिजनों ने बताया कि पीएचसी प्रभारी डॉ बीएन चौधरी ने सभी महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन किया है. लेकिन अस्पताल में बेड नहीं है की बात कहकर सभी महिलाओं को जमीन पर सुला दिया गया. शुक्रवार की रात लगभग 9 बजे मीडियाकर्मियों के माध्यम से एसडीओ चंद्रशेखर आजाद को सूचना दी गई. एसडीओ ने सूचना दिए जाने के बाद सिविल सर्जन विमल प्रसाद सिंह से बात की. जिसके बाद सिविल सर्जन ने सभी मरीजों को अनुमंडलीय अस्पताल में शिफ्ट करने की बात कही.

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कार्यशैला पर खड़ा किया गया सवाल
एसडीओ ने बीडीओ प्रेम सागर मिश्र को मामले की जांच करने का निर्देश दिया है. लेकिन लगभग एक घंटा बीत जाने के बावजूद भी न बीडीओ पहुंचे और न मरीजों को शिफ्ट ही किया गया. गौरतलब है कि अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में 75 मरीजों के लिए बेड उपलब्ध है. लेकिन इसके बावजूद भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत क्षेत्र से आई महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद उन्हें जमीन पर सुला देना वाकई स्वास्थ्य व्यवस्था के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है.

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