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नवादा जेल में कैदी की मौत पर बवाल, शव पहुंचे ही ग्रामीणों का पुलिस पर हमला

नवादा जेल में कैदी की मौत पर बवाल हुआ है. जैसे ही मृतक विजय मांझी के गांव उसका शव पहुंचा, ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया. इस दौरान लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया. कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

Prisoner commits suicide in Nawada Jail
नवादा जेल में विजय मांझी के आत्महत्या

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Published : Sep 1, 2022, 7:33 PM IST

नवादा: बिहार के नवादा जेल में कैदी की मौत (prisoner death in Nawada jail) का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. नवादा मंडल कारा में मंगलवार की रात विचाराधीन कैदी विजय मांझी की मौत के बाद जब शव उसके घर आया तो ग्रामीणों की पुलिस से भिड़ंत हो गई. ग्रामीणों के पथराव में दो पुलिस अफसर गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जबकि कई चोटिल हुए हैं. मौत के बाद प्रशासन द्वारा उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच पटना भेजा गया था. पोस्टमार्टम के बाद शव एंबुलेंस से बुधवार की शाम उसके गांव काशीचक प्रखंड अंतर्गत बौरी पहुंचा था.

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ग्रामीणों का पुलिस पर हमला: लोगों का कहना है कि शव वाहन आने के आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची और ग्रामीणों पर रौब दिखाते हुए शव का तत्काल अंतिम संस्कार करने को कहा. जिससे अनुसूचित वर्ग के लोग आक्रोशित हो गए और पुलिस पर पथराव कर दिया. जिसमें शाहपुर ओपी के एसआई रविकांत उपाध्याय का सिर फट गया है. उन्हें जख्मी हालत में विम्स पावापुरी में भर्ती कराया गया है. वहीं, काशीचक थाना के एएसआई दुर्गा प्रसाद भी जख्मी हो गए हैं. उनके सिर में भी टाका लगाना पड़ा है. पथराव में कुछ सिपाही भी चोटिल हुए.

जेल में कैदी की मौत पर बवाल:पुलिस के डर से इस टोले के लोग घर छोड़कर भाग गए. लिहाजा शव के अंतिम संस्कार के लिए आलाधिकारी रातभर सीएचसी बौरी में जमे रहे. गुरुवार की सुबह स्थानीय ग्रामीणों ने विजय मांझी के शव रखे एम्बुलेंस को सड़क पर लगाकर सरकट्टी-सुभानपुर पथ पर आवागमन बाधित कर दिया और बंदी की मौत की निष्पक्ष न्यायिक जांच और उचित मुआवजा की मांग करते हुए शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की बात पर अड़ गए. मामला बढ़ते काशीचक के पूर्व जिला पार्षद अखिलेश सिंह, प्रमुख पंकज कुमार, मुखिया प्रतिनिधि वरुण सिंह समेत दर्जनों लोग पहुंचे. घंटों मान-मनौव्वल के बाद हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने पर परिजन शव का अंतिम संस्कार करने को राजी हुए. करीब एक बजे दिन में सड़क से जाम हटवाकर यातायात बहाल किया गया.

वहीं, जाम के दौरान भाकपा माले पार्टी का झंडा बैनर लिये करीब एक हजार लोग जुट गए थे और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. लोगों का कहना था कि पुलिस दारू के धंधेबाजों को पैसा लेकर छोड़ देती है. जबकि एक थका मांदा मजदूर दारू पीने के जुर्म में जेल भेज दिया जाता है. साथ ही दारू पीकर पकड़े गए लोगों के साथ पुलिस बर्बरता करती है, जिसमें बोझमा ग्रामीण बोरा मांझी की मौत हो गयी थी. संभव है कि मृतक विजय मांझी के साथ भी जेल में मार-पीटकर हत्या कर दी गई हो. ग्रामीण अब भी पुलिस के संभावित आगे की कार्रवाई से भयभीत हैं.

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