नालंदा: जानलेवा कोरोना वायरस के बीच बिहार में चमकी बुखार का प्रकोप दिखने लगा है. इसकी रोकथाम के लिए लगातार सरकार और प्रशासन की ओर से जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. इसी क्रम में नालंदा में भी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. गर्मी के दिनों में एईएस/जेई नामक बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसे में नालंदा में इस बीमारी को दूर रखने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया.
पिछले साल आए थे 5 मामले
बिहार शरीफ के सदर अस्पताल स्थित सभाकक्ष में आयोजित इस कार्यशाला में मस्तिष्क ज्वर के लक्षण और बचाव के बारे में बताया गया. अब तक के शोध में पाया गया है कि कुपोषण ही इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है. सिविल सर्जन डॉ. राम सिंह ने बताया कि एईएस एक घातक बीमारी है. उन्होंने बताया कि अगर इससे कोई बच्चा ग्रसित हो जाता है तो उसे बेहतरीन सिस्टम के माध्यम से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि यह बीमारी बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके में अत्यधिक फैलती है. लेकिन, नालंदा जिले में पिछले साल 5 मामले सामने आए थे. जिसमें 4 मरीज को ठीक किया गया था.