नालंदा: आजादी के कई दशक बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के भटवा बाग गांव में आज भी विकास की किरण दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती है. विकास की प्रमुख इकाई सड़कें यहां सबसे बदहाल स्थिति में हैं. इसी क्रम में गांव की वर्तमान स्थिति को दर्शाता एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें एक प्रसूति महिला को खाट के सहारे ग्रामीण अस्पताल ले जाने को मजबूर दिख रहे हैं.
इस्लामपुर के भटवा बाग स्थित तीन किमी तक जाने वाली गांव की मुख्य सड़क अंग्रेजी शासनकाल के बाद से नहीं बना है. आलम ये है कि इस गांव में शादी-ब्याह का आयोजन होने पर बारात स्थानीय लोगों के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाती है. ये तो फिर भी ठीक है, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या गांव के किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर होती है. ऐसी स्थिति में उसे एम्बुलेंस की जगह खटिया पर लादकर अस्पताल तक पहुंचाया जाता है. जैसा कि वायरल वीडियो में दिख रहा है.
दशकों से सड़क निर्माण की बाट जोह रहे ग्रामीण
यह महज एक संयोग है कि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिले में खाट पर अस्पताल ले जाए जा रहे प्रसूति महिला के पति का नाम भी नीतीश कुमार है. नीतीश पेशे से किसान हैं. हालांकि, दोनों नीतीश में जमीन आसमान का फर्क जरूर है. जहां सुशासन बाबू के दफ्तर में कोरोना संक्रमण के प्रवेश की बात सामने आते ही उनके दफ्तर महज दो दिन में ही वेंटिलेटर युक्त अस्पताल की निर्माण होता है. वहीं, भटवा बाग गांव निवासी नीतीश दशकों से सड़क निर्माण की बाट जोहता है.
भटवा बाग गांव स्थित सड़क का हाल सरकार की कार्यशैली पर RJD ने उठाया सवाल
सीएम नीतीश कुमार के गृह नगर नालंदा से आई तस्वीर एनडीए के प्रमुख दावे विकास को मुंह चिढ़ा रहा है. वहीं, सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होते ही राजद ने मामले में प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मामला संज्ञान में आते ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. वहीं, राजद नेता महेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव के समय गांव मे जनप्रतिनिधि वोट मांगने आते हैं, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद उनके वादे हवा-हवाई हो जाते हैं.
नहीं हुआ विकास
राजद नेता ने कहा कि सिर्फ राजगीर और पटना का विकास कर देने से पूरे प्रदेश का विकास नहीं हो जाता है. मुख्यमंत्री नीतीश द्वारा विशेष क्षेत्र और जाति का विकास किया गया है. अन्य लोगों को उन्होंने पूरी तरह से उपेक्षित किया है. वहीं, ग्रामीणों द्वारा समय पर अस्पताल पहुंचाने की वजह से जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. दूसरी ओर ग्रामीणों में जर्जर सड़क को लेकर सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खिलाफ काफी आक्रोश है.