बिहार

bihar

ETV Bharat / state

Holi 2023: नालंदा का ऐसा गांव जहां वर्षों से होली मनाने की अलग है परंपरा

बिहार के नालंदा में एक ऐसा गांव है जहां वर्षों से होली मनाने की खास परंपरा चली आ रही है. यहां के लोग भगवान बुद्ध की प्रतिमां के साथ रंग और गुलाल लगाकर होली (Holi With Statue of Lord Buddha in Nalanda) मनाते हैं. यह देश में होली मनाने वाली परंपराओं में सबसे अलग है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Mar 5, 2023, 5:45 PM IST

बिहार के नालंदा का ऐसा गांव जहां होली मनाने की है खास परंपरा

नालंदा: देश में होली मनाने की अलग अलग परंपराएं (Different Traditions of Holi Celebration) और रीति रिवाज है. इसी कड़ी में बिहार के नालंदा में भी होली खेलने की अलग परंपरा है. जहां होली बुद्ध भगवान के साथ मनाई जाती है. यह अद्भुत नजाराबिहार शरीफ से 10 किमी की दूरी पर स्थित तेतरावां गांव में देखने को मिलता है. यहां होली मनाने की एक अनूठी परंपरा रही है जो पालकाल से ही चली आ रही है. यहा के स्थानीय लोगभगवान बुद्ध की प्रतिमा को बाबा भैरो कह कर पुकारते हैं.यहां भगवान बुद्ध की विशाल काले पाषाण की प्रतिमा पर सामूहिक रूप से रंग-गुलाल लगाकर होली मनाई जाती है.

पढ़ें-टिकारी राज की रंगपंचमी की परंपरा हुई विलुप्त, कभी रानी ने की थी शुरुआत

इस गांव में होती थी मूर्ति कला की पढ़ाई: यहां के जानकार राजीव रंजन पांडे बताते हैं कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में जब पढ़ाई होती थी उस वक्त मूर्ति कला की पढ़ाई इसी तेतरावां गांव में कराई जाती थी. भगवान बुद्ध की यह मूर्ति उसी समय की बताई जाती है. जिसे स्थानीय लोग भैरो बाबा कहकर बुलाते हैं और यहां कोई भी शुभ कार्य होता है तो उसका समापन यहीं आकर किया जाता है. मान्यता है कि लोग यहां जो भी मन्नतें मांगते हैं वो पूरी होती है. इसी वजह से लोग शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान बुद्ध की प्रतिमा की विधिवत रूप से साफ सफाई करके करते हैं और फिर उन्हें मीठे रवे का लेप लगाते हैं, उसके बाद देसी घी का लेप लगाते हैं और फिर उस पर सफेद चादर चढ़ाते हैं. इसके बाद भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ गांव के लोग रंग और अबीर लगाकर होली मनाते हैं और मंदिर में भजन कृतन करते हैं.

"प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में जब पढ़ाई होती थी उस वक्त मूर्ति कला की पढ़ाई इसी तेतरावां गांव में कराई जाती थी. भगवान बुद्ध की यह मूर्ति उसी समय की बताई जाती है. जिसे स्थानीय लोग भैरो बाबा कहकर बुलाते हैं और यहां कोई भी शुभ कार्य होता है तो उसका समापन यहीं आकर किया जाता है. मान्यता है कि लोग यहां जो भी मन्नतें मांगते हैं वो पूरी होती है."-राजीव रंजन पांडे, स्थानीय

एशिया में काले पत्थर की सबसे बड़ी प्रतिमा: वहीं मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि यह भगवान बुद्ध की प्रतिमा वर्षों पुरानी है और वो यहां इनकी देख-रेख तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं. यहां पहले बड़ी संख्या में देश-विदेश के बौद्ध श्रद्धालु घूमने आया करते थे. इसे लेकर यह भी कहा जाता है कि यह काले पत्थर की प्रतिमा एशिया की सबसे बड़ी है. यहां के लोग होली खेलने के बाद प्रार्थना करते हैं कि पूरे साल यहां के लोगों के लिए सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करें.

"यह भगवान बुद्ध की प्रतिमा वर्षों पुरानी है और वो यहां इनकी देख-रेख तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं. यहां पहले बड़ी संख्या में देश-विदेश के बौद्ध श्रद्धालु घूमने आया करते थे. इसे लेकर यह भी कहा जाता है कि यह काले पत्थर की प्रतिमा एशिया की सबसे बड़ी है."- रविंद्र पांडे, पुजारी

ABOUT THE AUTHOR

...view details