नालंदा: नालंदा के सोगरा कॉलेज से बीएड की डिग्रीहासिल कर शिक्षक बनने वालों की मेहनत आखिरकार रंग लाई. हालांकि, उस मेहनत में उन शिक्षकों को 10 वर्ष का समय लग गया. बावजूद कोर्ट ने उनकी सेवा मुक्ति के बाद एक बार फिर से उन्हें शिक्षक बनने का मौका दे दिया है. आपको बता दें कि वर्ष 2014 में विभाग ने सोगरा कॉलेज से बीएड कर नौकरी पाने वालों को बड़ा झटका दिया था.
बीएड की डिग्री को बताया था अवैध : सोगरा कॉलेज के बीएड डिग्री को अवैध करार देते हुए उस प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों को सेवा मुक्त कर दिया गया था, जो सालों से कोर्ट में मामला चल रहा था. अंतोगत्वा पटना हाई कोर्ट ने सोगरा कॉलेज से बीएड की डिग्री लेकर सूबे भर में 100 अधिक लोग नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक झटके में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. उसके बाद इस फैसले से नाराज शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां से कोर्ट ने मुकदमा दायर करने वाले उन शिक्षकों को एक बार फिर से बहाल करने का फैसला सुना दिया.
कोर्ट ने फिर से सभी को बहाल करने का दिया निर्देश : इसी आदेश पर डीईओ मो. जियाउल होदा खान ने जिले के 12 सेवा मुक्त शिक्षकों को एक बार फिर से नियुक्ति पत्र दे दिया है. इस कड़ी में जिले के 12 शिक्षक शामिल थे. इनमें 1. इफत आरा को राजगीर के उर्दू प्राथमिक विद्यालय कहटा, 2. सब्बीर अहसन गिलानी को करायपरसुराय के शिशु मध्य विद्यालय, 3. शाहिन मल्लिक को राजगीर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दोगी, 4. राम विलास तांती को हरनौत के मध्य विद्यालय तीरा, 5. कौशर बानो को उर्दू प्राथमिक विद्याललय कटहलटोला.