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लॉकडाउन में खाजा व्यवसाईयों को करोड़ों का नुकसान, अब सरकार से है मदद की आस

खाजा को पहले जीआई टैग दिया गया था. व्यवसाईयों ने बताया कि विदेश के लोगों की ऑनलाइन खाजा पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया गया था. लेकिन लॉकडाउन में सब बंद होने के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

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Published : Jun 4, 2020, 12:28 PM IST

नालंदाः मिठाइयों का राजा कहे जाने वाले खाजा के बिना बिहार में कोई मांगलिक काम पूरा नहीं होता है. लेकिन लॉकडाउन ने इसके कारोबार पर काफी बुरा असर डाला है. दुकानें बंद होने की वजह से खाजा व्यावसाईयों की कमर टूट गई है और उन्हें काफी नुकसान हो रहा है.

ठप है खाजा व्यवसाय
सिलाव का खाजा देश सहित विदेशों में प्रसिद्ध है. ऐप के जरिए इसकी ऑनलाइन बिक्री भी होती है. जिससे लोग घर बैठे भी इसका लुफ्त उठाते हैं. लेकिन लॉकडाउन ने खाजा व्यवसाय को पूरी तरह ठप कर दिया है. इस व्यवसाय से जुड़े लोग किसी तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

देखे रिपोर्ट

रोजी-रोटी की समस्या
खाजा को पहले जीआई टैग दिया गया था. व्यवसाईयों ने बताया कि विदेश के लोगों को ऑनलाइन खाजा पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया गया था. लेकिन लॉकडाउन में सब बंद होने के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि जिले में कुल 80 खाजा की दुकान हैं. इसके अलावा यहां करीब 400 कारीगर काम करते हैं. लॉकडाउन की वजह से व्यवसायी और कारीगर दोनों के लिए रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.

लॉकडाउन के दौरान बंद दुकानें

करोड़ों का नुकसान
व्यवसायियों ने बताया कि दो महीने में करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सुविधा नहीं होने से ऑनलाइन बुकिंग के बावजूद आर्डर पहुंचाने में वे असमर्थ थे.

सिलाव का खाजा

सरकार से मदद की आस
बता दें कि सरकार की ओर से भी इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को अब तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है. हालांकि कुछ दिनों में दुकानें खुल जाएंगी. लेकिन कोरोना के खतरे को देखते हुए इस नुकसान की भरपाई करना आसान नहीं होगा. ऐसे में इस कारोबार से जुड़े लोगों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

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