नालंदाः राज्य सरकार पूरे बिहार में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने की बात कर रही है. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पतालों का निर्माण कराने की बात कही गई. भवन का निर्माण भी कराया गया. इलाज के लिये आज भी लोग मोहताज हैं. ऐसा ही एक अस्पताल है, 'हरनौत के कल्याण बिगहा में बना रेफरल अस्पताल.' अस्पताल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव के नजदीक है. 29 नवंबर 2013 से अब तक यह अस्पताल बस खानापूर्ति साबित हो रहा है.
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दिखावा साबित हो रहा है अस्पताल
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव हरनौत के कल्याण बिगहा में बना रेफरल अस्पताल अन्य अस्पतालों की तरह बनकर रह गया है. 29 नवंबर 2013 को करीब दो करोड़ की लागत से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कल्याण बिगहा रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया था. जिसका विधिवत उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. कहा था कि इस रेफरल अस्पताल के बन जाने से कल्याण बिगहा सहित आसपास के गांव के लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. लेकिन यह अस्पताल भी महज दिखावा साबित हो रहा है.
कल्याण बिगहा का रेफरल अस्पताल 12 बेड का बना हुआ है अस्पताल
जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से करीब 30 किलोमीटर प्रखंड मुख्यालय हरनौत से 6 किलोमीटर दूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांव कल्याण बिगहा है. यहां के लोगों को उम्मीद थी कि इस अस्पताल के बन जाने से ना सिर्फ कल्याण बिगहा बल्कि आसपास के गांव बराह, सिरसी, महथवर, सबनौआ, सेवदह, नंदा बीघा के करीब 20,000 की आबादी को काफी लाभ मिलेगा. लोगों को दूरदराज नहीं जाना पड़ेगा. यह 12 बेड का अस्पताल है.
कल्याण बिगहा रेफरल हॉस्पिटल कई मरीजों को यहां से कर दिया जाता है रेफर
अस्पताल में चिकित्सक पारा मेडिकल स्टाफ एवं अन्य कर्मियों के पद की स्वीकृति की गई. लेकिन इस अस्पताल में 3 रेगुलर एवं एक कॉन्ट्रैक्चुअल डॉक्टर की ही नियुक्ति है. इस अस्पताल में जनवरी 2021 में अत्याधुनिक श्रेय की भी शुरुआत की गई है. इसके बावजूदयहां रेफरल अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. अस्पताल का आलीशान भवन तो बना हुआ है, लेकिन मरीजों का समुचित इलाज होने के बजाय यहां से रेफर कर दिया जाता है. हालांकि व्यवस्था को लेकर कुछ लोगों ने इसे ठीक-ठाक बताया. दवा मिलने की बात कही. वहीं कुछ लोगों ने इसे 'रेफर' अस्पताल की संज्ञा दी.
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कई सुविधाओं से महरूम है अस्पताल
वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर भी इस अस्पताल की व्यवस्था पर लोगों ने सवाल खड़े किए. स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि यह अस्पताल महज खानापूर्ति साबित हो रहा है. इस अस्पताल में 45 साल से ऊपर के करीब 750 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है. हालांकि रेफरल अस्पताल होने के बावजूद 18 वर्ष से ऊपर लोगों का वैक्सीनेशन का कार्य नहीं किया गया. इसके लिए लोगों को हरनौत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. वहीं, कोरोना जांच को लेकर लोगों की शिकायत है.
लोग चले जाते हैं हरनौत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
'वैक्सीनेशन के लिए लोगों को छह किमी दूर जाना पड़ता है. यहां 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा नहीं है. अगर यहां सुविधा मिलती तो लोग उतनी दूर क्यों जाते. यहां कई इलाज नहीं होते. इस कारण मरीजों की संख्या धीर-धीरे कम होती चली गई है. अब कम ही मरीज आते हैं.'-शुभम कुमार, ग्रामीण
लोगों को अक्सर कर दिया जाता है रेफर
'यहां कई कमियां हैं. अल्ट्रासाउंड की कमी है. जांच की सुविधा तो है, लेकिन कोई करने वाला नहीं हैं. यहां 18-44 वर्ष तक के लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है. यहां अब कम लोग पहुंच रहे हैं इलाज कराने को. ज्यादातर लोग हरनौत इलाज कराने चले जाते हैं. क्योंकि एक ही जगह पर सारी सुविधाएं मिलती हैं.'-राकेश कुमार, ग्रामीण
चिकित्सक, कल्याण बिगहा रेफरल हॉस्पिटल पहले आते थे मरीज, अब कम हैं
'यहां जो भी मरीज आते हैं, उनका इलाज किया जाता है. हमारी तरफ से पूरी कोशिश रहती है कि हम उनका इलाज करें. जो भी व्यवस्था है, उसी में सारे काम को पूरा करने की कोशिश रहती है. अभी कुछ दिनों से मरीजों की संख्या में कमी आयी है. लेकिन पहले मरीज आते थे.'-डॉ. अजीत कुमार, चिकित्सक
कल्याण बिगहा रेफरल हॉस्पिटल 8 से 2 बजे तक चलता है ओपीडी
'आठ बजे से दो बजे तक ओपीडी चलता है. कोरोना काल में सर्दी खांसी वाले मरीज भी आते हैं. सभी की कोरोना जांच की जाती है. हमारे तरफ से मरीजों को सारी सहुलियत दी जाती है. 750 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है. 45 से ज्यादा के लोगों का ही वैक्सीनेशन हो रहा है.'-डॉ. चंद्रभूषण, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी
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