नालंदाः विश्व भर में कोरोना वायरस को लेकर मचे हाहाकार का असर नालंदा में भी देखने को मिल रहा है. खासकर कोरोना वायरस ने पर्यटन उद्योग को बुरी तरह से प्रभावित किया है. नालंदा जिले के पर्यटन स्थलों में विदेशी तो दूर देशी पर्यटकों में भी भारी कमी देखने को मिल रही है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखने देश ही नहीं, विदेश के पर्यटक का हमेशा तांता लगा रहता था. लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. इक्का-दुक्का पर्यटक ही देखने को मिल रहा है.
कोरोना वायरस के कारण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में पसरा सन्नाटा
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में काम करने वाले कर्मी भी कोरोना वायरस को लेकर काफी सशंकित रहते हैं. कहा जाता है कि यहां काम करने वाले कर्मियों को खासकर टिकट लेनदेन के दौरान पैसे लेने-देने को लेकर लोग डरे और सहमे रहते हैं.
कोरोना वायरस से पर्यटन उद्योग बुरी तरह से प्रभावित
बताया जाता है कि ठंड का मौसम समाप्त होने और गर्मी के मौसम की शुरुआत पर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण के लिए श्रीलंका से पर्यटकों की ग्रुप यहां पहुंचती थी. इसके अलावा चीन, जापान, थाईलैंड, वियतनाम, कोरिया, सिंगापुर आदि देशों के पर्यटक से प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय गुलजार रहता था. भारत के भी कोने-कोने से पर्यटक यहां पहुंचते थे. लेकिन जब से कोरोना वायरस का पूरा विश्व सामना कर रहा है, तब से यहां पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट आई है.
नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष में पर्यटकों की संख्या में काफी गिरावट
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को देखने के लिए जहां विदेशी पर्यटकों की संख्या काफी हुआ करती थी. जो कि इस बार कोरोना वायरस के असर के कारण काफी कम हो गया है. इस बार नवंबर माह में विदेशी पर्यटक महज 3 हजार 837, दिसंबर माह में 2 हजार 676, जनवरी माह में 1 हजार 539 ही विदेशी पर्यटक पहुंच पाए. इसके अलावा फरवरी माह में चीन, जापान, सिंगापुर आदि देशों के पर्यटकों का आना लगभग बंद हो चुका है. वहीं, मार्च माह में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों की संख्या काफी सिमट कर रह गई है.