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'छप्पर नुमा घर, छत से टपकता बारिश का पानी', नालंदा के शहजाद अंजुम बने कल्याण पदाधिकारी - नालंदा न्यूज

BPSC Success Story: बीपीएससी 68 वीं परीक्षा में नालंदा के शहजाद अंजुम को भी सफलता मिली है. गरीबी और तंगहाली के बीच पढ़ लिखकर शहजाद अंजुम SC/ST का कल्याण पदाधिकारी बन गए हैं. मां ने कहा कि 9 साल तक बहुत कष्ट किया.अब सारी परेशानी खत्म हो गई है.

नालंदा के शहजाद अंजुम बने कल्याण पदाधिकारी
नालंदा के शहजाद अंजुम बने कल्याण पदाधिकारी

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 17, 2024, 5:54 PM IST

नालंदा के शहजाद अंजुम बने कल्याण पदाधिकारी

नालंदा: जिले के लाल शहजाद अंजुम ने बिहार लोक सेवा आयोग के 68वें परीक्षा में 258वां रैंक हासिल कर SC/ST का कल्याण पदाधिकारी बन जिले का नाम रौशन किया है. उनकी सफलता से पूरा परिवार फूले नहीं समा रहा है.

बचपन में ही सिर से उठ गया पिता का साया: शहजाद अंजुम मुख्यालय बिहारशरीफ के खानकाह मोहल्ला निवासी स्व. डॉ. मो. अज़मत महमूद के 7 संतानों में सबसे बड़ा पुत्र है. घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के साथ कम उम्र में ही सर से पिता का साया उठ चुका था, जो एक मदरसा में नौकरी करते थे.

छप्पर नुमा घर की छत से टपकता है बारिश का पानी: उन्होंने यह सफलता तीसरी बार में हासिल की है. यही नहीं घर छप्पर नुमा बना हुआ है. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के मौसम में होती है, जब बारिश की वजह से कमरे में पानी टपकता है. इसके कारण घरवालों को खासी परेशानी होती है और रहना दुश्वार हो जाता है.

नालंदा के शहजाद अंजुम

'तालीम कभी नहीं बंटती': मां इफ्फत आरा ने कहा कि दौलत भले ही बंट जाता है लेकिन तालीम कभी नहीं बंटती है. इसलिए दुख सहकर बच्चों को पढ़ाया. बेटे की सफलता से घर परिवार मोहल्ले वालों में खुशी का माहौल है.

"इसके लिए बड़े बुजुर्गों की दुआएं और बच्चे की मेहनत काम आयी है. घर की हालत से हम 9 साल तक परेशान रहे, लेकिन अब दिन बदल जाएंगे. ऊपर वाले को हमलोगों पर दया आ गई और दुआ कबूल कर लिए."-इफ्फत आरा, शहजाद अंजुम की मां

'UPSC में अच्छा रैंक हासिल करना पहली प्राथमिकता': शहजाद अंजुम ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वे आगे अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे और UPSC में अच्छा रैंक हासिल करना पहली प्राथमिकता है. हाल ही में BPSC के जरिए हुए शिक्षक भर्ती परीक्षा में जिले के एकंगरसराय कुड़वापर हाई स्कूल में कंप्यूटर शिक्षक के पद पर भी नियुक्त किए गए हैं.

"तीसरे बार में मुझे ये सफलता हासिल हुई है. मूल शिक्षा बिहारशरीफ के माइनॉरिटी स्कूल से किया. घर की माली हालात सही नहीं होने के कारण अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए ट्यूशन पढ़ाया, स्कूल में पढ़ाया फ़िर कोचिंग में पढ़ाई कर घर का खर्च निकाल घर की ज़िम्मेदारी उठायी."- शहजाद अंजुम, सफल अभ्यर्थी

मिली दोहरी खुशी: शहजाद अंजुम को एक साथ दोहरी ख़ुशी मिली है. एक ओर बेटा अधिकारी बना तो दूसरी ओर 10 साल के अथक प्रयास से बर्खास्त सोगरा की शिक्षिका मां इफ़्फ़त आरा को भी नियुक्ति मिल गयी है.

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