नालंदा : एक समय था जब नालंदा ज्ञान और विज्ञान के साथ साथ राजनीति का केंद्र हुआ करता था, लेकिन आज नालंदा की जगह कहां है ये सबको पता है. इस खोई हुई प्राचीन गौरवशाली परंपरा को वापस पाने के लिए इंजीनियर से शिक्षक बने मोनू कुमार के बड़े सपने हैं. उन्होंने कुछ मुट्ठी भर छात्रों को लेकर अपना गुरुकुल खोला है. जहां पर वो बच्चों को हर तरह की शिक्षा मुफ्त में देते हैं. इनकी क्लास में 'अ' से 'अब्दुल कलाम' और 'अर्जुन' दोनों पढ़ाया जा रहा है.
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'गुरुकुल' से लौटेगा नालंदा का गौरव: मोनू कुमार का मानना है कि हम अपने गौरवशाली अतीत को फिर से वापस पा सकते हैं, इसके लिए हमें शिक्षा की पद्धति बदलाव लाना होगा. इसलिए वो अपने इसी 'गुरुकुल' के जरिए प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की 'सीखने की परंपरा' को फिर से वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं. यहां छात्र न सिर्फ साइंस, गणित, दर्शन, मेटा फिजिक्स, इतिहास और संस्कृत सीखते हैं, बल्कि उन्हें रामानुजन, बुद्ध, विवेकानंद, आर्यभट्ट और अन्य बड़ी हस्तियों के बारे में भी पढ़ाया जाता है.
प्राचीन ग्रंथों से बढ़ेगा ज्ञान: मोनू कुमार के मुताबिक अगर छात्र प्राचीन ग्रंथों जैसे वेदांत, भगवत गीता, उपनिषद आदि के बारे में सीखेंगे, तो उनके बौद्धिक स्तर में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने आगे बताया कि प्राचीन भारत में नालंदा यूनिवर्सिटी की उत्कृष्ट शिक्षा पद्धति से प्रेरित होकर इंजीनियर मोनू कुमार ने अपनी नौकरी छोड़ दी और वापस अपने हुसैनपुर गांव में एक ‘गुरुकुल’ शुरू किया. वह 2021 से नालंदा के रहुई प्रखंड की पेशौर पंचायत के गाँवों से आने वाले छात्रों को फ्री में पढ़ा रहे हैं.
विज्ञान भी और वेदांत का ज्ञान भी: मोनू कुमार ने गणित, इतिहास और भारतीय संस्कृति और परंपरा के साथ वेदांत को जोड़ते हुए एक अलग पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं. मोनू कुमार ने गणित, इतिहास और भारतीय संस्कृति और परंपरा के साथ वेदांत को जोड़ते हुए एक अलग पाठ्यक्रम तैयार किया है. जो छात्र पढ़ना और लिखना जानते हैं वे गुरुकुल में शामिल हो सकते हैं. मौजूदा समय में 15 से 20 छात्र स्कूल में पढ़ रहे हैं, जिनमें 5 लड़कियां हैं. 2021 से गुरुकुल ने 100 से ज्यादा छात्रों को मुफ्त शिक्षा के साथ उन्हें पढ़ाई से संबंधित ज़रूरी वस्तुएं भी प्रदान की है.
स्कूल के बाद मोनू सर की क्लास: हुसैनपुर मिडिल स्कूल में नामांकित छात्र रोजाना तीन से चार घंटे गुरुकुल की कक्षाओं में भाग लेते हैं. छात्रों का कहना है कि जो पढ़ाई हमें तीन से चार घंटे मोनू सर के ज़रिए यहां मिलता है वो स्कूल में नहीं इसलिए स्कूल में सिर्फ़ नामांकन कराया है बाकी पढ़ाई यहां करते हैं. कभी शिक्षक आते नहीं तो कभी आते हैं तो पढ़ाई नहीं होता है. इसके साथ ही मोनू बिहार के गंगा घाट पर मुफ्त सिविल सेवा की तैयारी कराते हैं.