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Malmas Mela 2023: राजगीर मलमास मेला की शुरुआत, 52 जल धाराओं में श्रद्धालु करेंगे स्नान

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Published : Jul 18, 2023, 11:05 PM IST

बिहार के नालंदा में एक माह तक चलने वाला मलमास मेला की शुरुआत हो गई है. 18 जुलाई से 16 अगस्त यह मेला रहेगा. राजगीर में 22 कुंड एवं 52 जल धाराओं में इस बार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

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नालंदा में मलमास मेला की शुरुआत

नालंदाः बिहार के नालंदा में मलमास मेला शुरु हो गया है. मंगलवार को यज्ञशाला में ध्वजारोहण के साथ शुरुआत की गई. 18 जुलाई से 16 अगस्त तक 1 महीने तक चलने वाले पुरुषोत्तम मास मेला की शुरुआत हो गई है. करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज, फलाहारी बाबा के द्वारा ध्वजारोहण किया गया. इसके पूर्व ब्रह्मकुंड परिसर स्तिथ सप्तधारा में पूरे विधि विधान से संत महात्माओं एवं भक्तजनों के द्वारा पूजा अर्चना की गई. एवं 33 कोटि देवी देवताओं का आह्वान किया गया.

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3 घंटे तक चला तीर्थ पूजनः तीर्थ पूजन कार्यक्रम मंगलवार की सुबह ही शुरू हो गई थी. जो करीब 3 घंटे तक चली, इसके बाद ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ. मौके पर आए श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. इस मौके पर पंडा समिति के अध्यक्ष नीरज उपाध्याय, सचिव विकास उपाध्याय, कोषाध्यक्ष ओमकार नाथ उपाध्याय समेत पंडा समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे.

मलमास मेला की मान्यताः ऐसी मान्यता है कि मलमास में सनातन धर्म के 33 कोटि देवी देवता 1 महीने तक राजगीर में ही प्रवास करते हैं. प्राचीन वैभवशाली मगध साम्राज्य की हृदयाशाली समृद्ध धार्मिक विरासत के सृजन भूमि राजगृह में चार शाही स्नान होंगे. राजगीर में 22 कुंड एवं 52 जल धाराओं में इस बार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे. सभी कुंड एवं जल धाराओं का जीर्णोद्धार कराया गया है.

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वैतरणी नदी का महत्वः इसमें सबसे खास वैतरणी नदी है. इस नदी तट को लोग प्राचीन समय से ही गाय की पूंछ पकड़कर पार किया करते थे. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिला प्रशासन के द्वारा 1 महीने तक मलमास मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा. जो आज से ही शुरू हो जाएगा.

क्या है कार्यक्रमः बता दें कि एक माह तक 4:00 बजे से लेकर शाम के 7:00 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम चलेगा. पहले दिन सूचना जनसंपर्क विभाग के कलाकारों के द्वारा विशेष प्रस्तुति दी गई. इसके बाद सरस्वती बंदना, गायन, अपन बिहार पर आधारित नृत्य, कथक नृत्य, बिहार गीत, कजरी एवं गायन के साथ पहले दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन हो गया.

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