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CM नीतीश के गृह जिले में ISO प्रमाणित सदर अस्पताल का खस्ता हाल, स्वास्थ्य मंत्री के दावे के बावजूद सुविधाओं का अभाव

नालंदा में आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल (ISO Certified Sadar Hospital in Nalanda) का हाल बेहाल है. यहां न मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है और न डॉक्टर समय पर आकर मरीजों का इलाज कर रहै हैं. हालांकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav) के मिशन 60 कार्यक्रम के तहत अस्पताल में करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन मरीजों को सुविधा मयस्सर नहीं हो पा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

नालंदा के सदर अस्पताल का हाल बेहाल
नालंदा के सदर अस्पताल का हाल बेहाल

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Published : Dec 12, 2022, 1:22 PM IST

नालंदा अस्पताल का हाल बेहाल

नालंदा:बिहार के नालंदा में उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव (Health Minister Tejashwi Yadav) के 'मिशन 60' कार्यक्रम (Mission 60 Program in Bihar) का माखौल उड़ाया जा रहा है. यहां आईएसओ प्रमाणित सदर अस्पताल का हाल बेहाल (ISO Certified Sadar Hospital in Nalanda) है. 'मिशन 60' के तहत सदर अस्पताल में करोड़ों रुपये खर्च किए गए लेकिन अस्पताल में मरीजों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है. अस्पताल में लापरवाही का आलम ऐसा है कि मरीज के परिजन मरीज को गोद में उठाकर एक्स-रे करवाने ले जाने को मजबूर है.

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डॉक्टर ड्यूटी में बरत रहे हैं लापरवाही:नालंदा सदर अस्पताल (Sadar Hospital in Nalanda) में डॉक्टर पर ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लग रहा है. जिसे लेकर सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने लापरवाही बरतने वाली महिला डॉक्टर को सख्त निर्देश दिया. बिहार शरीफ सदर अस्पताल में कुल तीस डॉक्टर पदस्थापित है. फिर भी मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल रही है. सिविल सर्जन के द्वारा डॉक्टर समय से आए इसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सुविधा मुहैया कराया गया था. लेकिन इस बायोमेट्रिक अटेंडेंस से डॉक्टर अपना अटेंडेंस नही बनाने को तैयार हैं. सिविल सर्जन ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि बिना ड्यूटी पर आए डॉक्टर के अटेंडेंस पर साइन कैसे हो जाता है.

मुख्यमंत्री के गृह जिले का है ये हाल:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्थित एक मात्र आईएसओ प्रमाणित बिहार शरीफ सदर अस्पताल में सुविधाएं केवल कागजों तक ही सीमित दिख रही है. जबकि अस्पताल का हकीकत कुछ और ही बयां कर रहा है. सुबह से ही इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहती है. लेकिन दोपहर बाद भी डॉक्टर के मौजूद ना होने के कारण मरीज को निराश होना पड़ता है. जब इस बात की जानकारी सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह को लगी तो उनका गुस्सा सांतवे आसमान पर चढ़ गया और उन्होंने डॉक्टरों को नसीहत दे डाली और कहा कि 'अगर आप रोस्टर से काम करना पसंद करेंगे तो अस्पताल में काम कीजिए, वरना खुशी-खुशी घर जाइए. हमें किसी भी डॉ. से कोई लेना देना नहीं है. यहां के डॉक्टर अपने मर्जी से चलते हैं. इस अस्पताल में गंदगी भरी (pathetic condition of ISO certified Sadar Hospital) हुई है'.

मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज:अस्पताल का आलम ये है कि यहां बच्चें के जन्म के बाद लगने वाले बीसीजी इंजेक्शन के बदले एएनएम पैसे का डिमांड करती हैं. शव का पोस्टमार्टम करवाने पहुंचे परिजनों को घंटों इंतजार और लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं किया जा रहा है. परिजन बार-बार ये आरोप लगा रहे हैं. हालांकि सिविल सर्जन ने इन सभी आरोपों से इनकार किया.

"मामला संज्ञान में आया है कि मरीजों से पैसे लिए जा रहै है. उसे बुलाकर फटकार लगाया गया है. आगे से ऐसा नहीं होगा. गोद में उठाकर मरीजों को इलाज के लिए ले जाने वाला आरोप गलत है"- डॉ. अविनाश कुमार सिंह, सीएस, नालंदा

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