नालंदाःबिहार के नालंदा के बड़गांव को सूर्यनगरी कहा जाता है. इसे सूर्य उपासना का केंद माना जाता है. यही कारण है कि बड़गांव में सूर्योपासना के पर्व छठ का काफी (Importance of Chhath Puja in Nalanda Badgaon) महत्व है. बड़गांव की छठ पूजा काफी प्रसिद्ध है. यहां दूर-दराज से लोग छठ पूजा करने आते हैं. कई लोग यहां आकर भगवान सूर्य से मनौती मांगते हैं, तो कई लोग मनोकामना पूर्ण होने पर यहां छठ करते हैं. बड़गांव का सूर्यमंदिर का अपना एक अलग इतिहास है. इसका इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण भी बड़गांव के सूर्य मंदिर को ख्याति प्राप्त है. इसके साथ ही बड़गांव सूर्यधाम से कई सारी मान्यताएं भी जुड़ी हुई है.
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कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से मिलती है मुक्तिःनालंदा कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को समेटे हुए है. उन्हीं में से एक है बड़गांव सूर्य मंदिर, जो देश भर में प्रसिद्ध है. यहां छठ करने देश के कोने-कोने से लोग आते हैं और चार दिनों तक प्रवास कर छठ व्रत करते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहां के सूर्य तालाब में स्नान कर मंदिर में भगवान भास्कर की पूजा करने से कुष्ठ रोग के अलावा कई असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं. साथ ही ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ प्रसिद्ध मान्यताओं के कारण भी यहां छठ व्रत करने के लिए लोग पहुंचते हैं. राज्य सरकार ने बड़गांव के छठ पूजा को राजकीय मेला का दर्जा दिया है. इस बार भी तालाब की सफाई, मंदिर का रंग रोगन और रोशनी की व्यवस्था कराई गई है.
द्वापर युग से जुड़ा है बड़गांव सूर्यधाम का इतिहासः मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से इस सूर्य धाम का इतिहास जुड़ा है. द्वापर युग में भगवान कृष्ण के पौत्र साम्ब को कुष्ठ रोग का श्राप मिला था. श्राप मिलने के बाद राजा साम्ब ने भगवान कृष्ण से क्षमा याचना की. इसके बाद श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हें दिया गया श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसका उपाय नारद मुनि ही बता सकते हैं. तब वे नारद मुनि के पास गए और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. नारद अपने साथ साम्ब को लेकर फिर से श्रीकृष्ण के दरबार में पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने कहा कि इसके लिए सूर्य देव की उपासना करनी होगी. साम्ब ने सूर्य देव की उपासना की. तब जाकर सूर्य देव प्रकट हुए और 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना कर वहां अपनी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने को कहा, जिससे उन्हें कंचन काया प्राप्त होगी. सूर्य देव द्वारा शाप मुक्ति के बताए गए रास्ते पर चलकर 12 वर्षों में देश के 12 स्थानों पर राजा साम्ब ने सूर्य धाम की स्थापना की. इसमें औंगारी और बड़गांव सूर्य धाम शामिल है.