नालंदाः एक तरफ जहां जाति और धर्म के नाम पर लोग आपस में उलझ रहे हैं, मार-पीट तक कर रहे हैं. वहीं सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है नालंदा के बेन प्रखंड का माण्डी गांव. जहां एक मस्जिद की देखभाल हिंदू धर्म के लोग कर रहे हैं.
गांव से हुआ मुस्लमानों का पलायन
दरअसल, बेन प्रखंड के मांडी गांव में स्थित एक मस्जिद की सालों से देखभाल हिंदू धर्म के लोग ही कर रहे हैं. कभी इस गांव में मुस्लिम आबादी हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोगों ने गांव से पलायन कर लिया. जिसका नतीजा है कि मस्जिद की देखभाल करने के लिए भी कोई मुस्लिम यहां नहीं रह गया. जिसके बाद मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदू धर्म के लोगों ने उठा लिया.
पांच बार होती है इसमस्जिद मेंअजान
गांव के ही बखोरी जमादार, गौतम प्रसाद और अजय पासवान ने मिलकर मस्जिद की देखभाल करनी शुरू कर दी. मस्जिद के नियमानुसार साफ-सफाई, मरम्मत के साथ-साथ हर दिन आजान दिलाया जाता है. हिंदू धर्म के लोगों ने अजान नहीं सीखने के कारण इसका भी उपाय ढूंढ लिया. ये लोग पेन ड्राइव के माध्यम से अजान दिलाने लगे. हर दिन पांच बार इस मस्जिद में अजाना होती है.
अजान के लिए रखा गया रिकॉर्डर 200 साल पहले हुआ था मस्जिद का निर्माण
इस गांव में करीब 2000 आबादी है. सभी हिंदू धर्म के लोग हैं. बताया जाता है कि कुछ साल पहले इस गांव से मुस्लिमों का पलायन हो गया. इस मस्जिद का निर्माण करीब 200 वर्ष पहले हुआ था. इस मस्जिद में भी अन्य मस्जिदों की तरह पूरी शिद्दत के साथ इबादत की जाती थी. लेकिन मुस्लिमों का पलायन हो गया वैसे में इस मस्जिद की देखभाल का जिम्मा हिंदुओं ने उठाया.
मस्जिद की देखभाल करता हिंदू युवक मस्जिद में रखे पत्थर से दूर होती है बीमारी
लोगों का कहना है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य होता है तो इस मस्जिद में पहले जाकर इबादत करते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव में किसी को गाल फुल्ली बीमारी होने के बाद इस मस्जिद में रखे पत्थर को सटाने से बीमारी दूर हो जाती है. मुहर्रम के मौके पर इस मस्जिद से ताजिया निकाला जाता है. जिसके लिए पहले यहां रंगाई पुताई का काम कराया जाता है.
मस्जिद की देखभाल करते हिंदू समाज के लोग