नालंदा:नालंदा के एक शख्स का दावा है कि वह हाथ में नारियल लेकर ये पता कर सकते हैं कि जमीन के अंदर कहां पानी है. बाबा हथेली में नारियल रखकर पानी की खोज में निकलते हैं. जहां भी जमीन के अंदर प्रचुर मात्रा में पानी होता है, नारियल में कंपन होने लगता है. लोगों का कहना है कि जहां भी बाबा ने जमीन के अंदर पानी होने की बात कही वो सही साबित हुई है. अब यह शख्स इलाके में कोकोनट बाबा के नाम से जाना जाता है. (indicates underground water through coconut) (coconut stands on palm) (Rahul Fatehpuri Coconut Baba)
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कौन हैं कोकोनट बाबा?: गया के राहुल फतेहपुरी 'कोकोनट बाबा' हैं, जिनके द्वारा पानी के लिए जमीन चिन्हित होते ही लोग चापाकल लगा लेते हैं. राहुल फतेहपुरी गया के बांकेबाजार प्रखंड के बिहरगाई पंचायत अंतर्गत फतेहपुर गांव के रहने वाले हैं. पिछले 3 सालों से यह नारियल से भूमि के अंदर पानी का पता लगाते हैं. गया में पानी की काफी किल्लत रहती है. कई जगह काफी खर्च करने के बाद भी पानी नहीं मिल पाता. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि पहले चापाकल लगाने के लिए खुदाई करवाते थे लेकिन पानी नहीं मिलने पर निराशा हाथ लगती थी. फिजूल का खर्च भी होता था. अब कोकोनट बाबा के कारण सही जगह पर चापाकल लगाने का पता चल जाता है.
वाइब्रेशन के बादसीधा हो जाता है नारियल: :कोकोनट बाबा उर्फ राहुल का कहना है कि अबतक जहां भी मैंने पानी होने की बात कही है वहां बहुत अच्छा पानी मिला है. इससे ग्रामीण क्षेत्र की जनता को बहुत लाभ हुआ है. इस साल गया में बारिश ना के बराबर हुई. अगर मोटर नहीं होता तो फसल भी होना मुश्किल था. मुझे बहुत खुशी है कि मेरे इस टेक्निक से लोगों का भला हो रहा है. हाथ में नारियल लेकर जमीन के अंदर पानी है या नहीं पता लगाया जाता है. जहां चापाकल लगवाना है वहां घूमते हैं. अगर नारियल में कंपन होने लगता है तो इसका मतलब है कि जमीन के अंदर पानी है.
"मैं जिले के हर क्षेत्र में गया हूं. कोई गांव नहीं बचा है जहां मैंने लोगों को पानी का पता नहीं बताया है. इस काम में मैं तीन साल से लगा हूं. आज भी इस काम में लगा हूं. रोज पानी चेक करने का काम करता हूं. नारियल और लकड़ी की मदद से पता लगाते हैं. जहां भी जमीन के अंदर पानी ज्यादा होता है उस दौरान हथेली में रखे नारियल में कंपन होने लगता है. नारियल में वाइब्रेशन के अनुसार ही बताता हूं कि कितना पानी है. इस क्षेत्र के सभी लोग मुझे जानते हैं. लोग अपनी खुशी से जो देते हैं मैं ले लेता हूं.शेरघाटी में अनुमंडल में भी इस विधि से मैंने बोरिंग करवाई है."- राहुल फतेहपुरी उर्फ कोकोनट बाबा
जियोलॉजी के प्रोफेसर ने कही ये बात: इस संबंध में गया के अनुग्रह कॉलेज के जियोलॉजी प्रोफेसर प्रवीण कुमार सिंह बताते हैं कि राजस्थान सेक्टर की यह पुरानी साइंस है. वहां भी लोहे से पानी का पता लगाने की बात सामने आती है. यह आधा सच आधा फसाना के समान है. इसे पूरी तरह से नकार नहीं सकते हैं. राजस्थान में इस तरह से पानी का पता लगाने को लेकर जीएसआई के साइंटिस्ट की रिसर्च रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. नारियल विधि को नकार नहीं सकते यह मामला मैग्नेटिक फिल्टर का है. नारियल एक बाॅडी है. उसके अंदर पानी है. वहीं, इसे पूरी तरह सच भी नहीं कहा जा सकता है. यह साइंटिस्ट नॉलेज है, जो कि इतनी आसान नहीं है.