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'धान के कटोरे' में शिमला मिर्च की खेती कर किसान खुद बदल रहे अपनी तकदीर

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Published : Nov 25, 2019, 1:57 PM IST

शिमला मिर्च की खेती करने वाले जिले के सफल किसान बताते हैं कि खेती से यदि अच्छी आमदनी लेनी है तो पारम्परिक खेती के साथ आपको व्यावसायिक खेती भी अपनानी होगी. उन्होंने बताया कि वे धान-गेहूं की अपेक्षा कई गुना ज्यादा कमाते हैं.

शिमला मिर्च की खेती


नालंदा: धान के कटोरे कहे जाने वाले जिले की धरती पर किसान अब शिमला मिर्च का उत्पादन कर खुद से अपनी तकदीर लिख रहे है. यहां के किसान पहले परम्परागत खेती करते थे. जिसमें अपेक्षाकृत लागत ज्यादा और मुनाफा काफी कम होता था. जिस वजह से किसानों को खेती छोड़कर गांव से पलायन को मजबूर होना पड़ता था.

नेट हाउस में लगा शिमला मिर्च

'कम लागत में हो रहा अधिक मुनाफा'
जिले के किसानों का पहले खेती के लिए पहली प्रथमिकता धान, आलू, प्याज, हरी सब्जी हुआ करती थी. जिसमें लागत ज्यादा और मुनाफा कम होती थी. इस समस्या के निदान के लिए बिहारशरीफ प्रखंड के दीपनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत मेंघी गांव के किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर शिमला मिर्च की खेती करनी शुरू की. जिससे उनकी लागत में कमी और मुनाफा बढ़ने लगा.

पेश है एक खास रिपोर्ट

'नेट हाउस में की जा रहा है खेती'
इस बाबत सफल किसान आलोक आनंद और आलोक कुमार बताते है शिमला मिर्च की खेती जिले के किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है. उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में हमलोगों ने 8 कट्ठे में बने नेट हाउस में खेती करना शुरू किया. जिसके बाद धीरे-धीरे खुले जमीन पर भी खेती करना शुरू किया.

नेट हाउस में लगा शिमला मिर्च

'6 से 7 गुना अधिक हो रहा मुनाफा'
शिमला मिर्च की खेती कर रहे किसानों का कहना है कि उन्हें परंपरागत खेती के अपेक्षा इस खेती से 6 से 7 गुना अधिक मुनाफा हो रहा है. किसान बताते है कि प्रदेश में बढ़ रहे फास्ट फूड के प्रचलन के कारण हाल के दिनों में शिमला मिर्च की मांग काफी बढ़ी है. इसे पहले शिमला समेत अन्य दुसरे प्रदेशों से मंगाया जाता था. जिससे इसकी फ्रेशनेस कम हो जाती थी और इसके स्वाद में भी कमी आ जाती थी. जिस वजह से उनलोगों ने शिमला मिर्च की खेती करने की शुरुआत की. इसकी खेती शुरू होने के बाद बाजार में लोकल शिमला मिर्च की मांग काफी बढ़ी है.

सफल किसान आलोक आनंद

ऑफ सिजन में बढ़ती है मांग
किसान बताते है कि इसकी खेती सितंबर से अक्टूबर माह में शुरू होती है. लेकिन उन्होंने इसे ऑफ सीजन अगस्त में ही इसे खेतों में लगा दिया है. जिससे शुरुआती दौर में बाजार में आ जाने से उन लोगों को अधिक मुनाफा मिल सके. किसानों ने बताया कि नेट हाउस में इसकी खेती करने पर सरकार सब्सिडी दे रही है. लेकिन खुले में खेती करने से पर सरकार कोई मदद नहीं कर रही है. उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है.

सफल किसान आलोक कुमार

'कड़ी मेहनत से सफल हुए'
शिमला मिर्च का खेती करने वाले जिले के सफल किसान आलोक आनंद और आलोक कुमार बताते है कि खेती से यदि अच्छी आमदनी लेनी है तो पारम्परिक खेती के साथ आपको व्यावसायिक खेती भी अपनानी होगी. उन्होंने बताया कि वे धान-गेहूं की अपेक्षा कई गुना ज्यादा कमाते है. हालांकि शुरूआती दिनों सफलता मिलने में काफी समय तो लगा लेकिन कड़ी मेहनत कर कृषि को नया रूप देना शुरू किया. आलोक बताते है कि कड़ी मेहनत व लगन से खेती की जाए तो निश्चित ही किसान अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकते हैं.

शिमला मिर्च की खेती

ऐसे पड़ा शिमला मिर्च नाम
आमतौर पर शिमला मिर्च के नाम को लेकर लोगों की राय है कि इसकी खेती शिमला में होती है. जिस वजह से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ गया. इसका आंग्रेजी नाम कैप्सीकम है. यह मूल रूप से दक्षिणी अमेरिका की एक सब्जी है. बताया जाता है कि आजादी के पूर्व जब अंग्रेज भारत में आए उन्होंने कैप्सीकम को शिमला की पहाड़ियों की मिट्टी में बोया. जिसके बाद यह धीरे-धीरे पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया.

भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं एंटीऑक्सीडेंट
शिमला मिर्च हरे रंग के अलावे लाल और पीले रंग का भी होता है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है. डॉक्टरों का मानना है कि कलरफुल सब्जियां मे में एंटीऑक्सीडेंट बहुत मात्रा में पाए जाते हैं.इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है

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