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नालंदाः लॉकडाउन में दयनीय है ई-रिक्शा चालकों की स्तिथि, बैंक ऋण तक नहीं कर पा रहे जमा

इन दिनों यात्रियों की संख्या कम होने के कारण ई-रिक्शा चालक किसी तरह 150 से 200 रुपये ही रोजाना कमा पा रहे हैं. उन पैसों से ये घर का खर्च चलाएं या बैंक का ब्याज जमा करें. इसे लेकर यह काफी चिंतित हैं.

ई रिक्शा चालक
ई रिक्शा चालक

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Published : Aug 12, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 5:41 PM IST

नालंदाःवैश्विक महामारी कोरोना ने कारण ई-रिक्शा चालकों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में किसी तरह के वाहन का परिचालन नहीं हुआ और इनकी आय पूरी तरह बंद हो गयी. लेकिन जब सरकार ने अनलॉक में कुछ छूट दी तो भी इनके हालात बेहतर नहीं हुए. यात्रियों की संख्या नगण्य होने के कारण आमदनी नहीं हो पा रही है.

ई-रिक्शा चालकों को अपना घर चला पाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में ये ई-रिक्शा चालक घर चलाये या अपने वाहन का ऋण जमा करें, इसको लेकर परेशान हैं. ज्यादातर ई-रिक्शा चालक अपना बैंक ऋण जमा नहीं कर पा रहे हैं.

ई-रिक्शा चालक

यात्रियों की कमी परेशानी का सबब
बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में करीब 1 हजार ई रिक्शा का परिचालन होता है. घर परिवार चलाने के लिए चालकों ने बैंक से ऋण पर वाहन लिया. जिससे उनके परिवार का भरण पोषण होता है. करीब 80 प्रतिशत चालक बैंक ऋण पर गाड़ी खरीद कर परिचालन कर रहे हैं. 3 माह बाद जब लॉक डाउन में छूट मिली तब सड़कों पर वाहन का परिचालन शुरू किया गया. लेकिन यात्री की कमी परेशानी का कारण साबित हो रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'चार महीने से नहीं दिया बैंक का ब्याज'
बिहारशरीफ के राणा बीघा के रहने वाले संजय चौधरी ने बताया कि करीब 1 साल पहले उन्होंने बैंक से 1 लाख रुपये ऋण लिया और उस पैसे से ई रिक्शा खरीदा. घर का खर्च चलाने के लिए ई रिक्शा चलाने लगा. शुरुआती दौर में सब ठीक चल रहा था. आमदनी भी अच्छी हो जा रही थी. जिससे घर का खर्च भी चल रहा था और बैंक का ब्याज भी करीब 4 हजार रुपये जमा कर रहे थे. लेकिन कोरोना के कारण लॉक डाउन लग गया और गाड़ी चलना बन्द हो गई. यही वजह है कि चार महीने से बैंक का ब्याज जमा नहीं कर सके.

परेशान ई-रिक्शा चालक

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नहीं हो रही ई रिक्शा चालकों की कमाई
संजय चौधरी अकेले चालक नहीं है, जिन्हें इस प्रकार की परेशानी उठानी पड़ रही है. यही हालात सभी ई रिक्शा चालकों के हैं. राजीव कुमार, कमलेश कुमार, गंभीर सिंह ने बताया कि इन दिनों यात्रियों की संख्या नहीं होने के कारण वे लोग किसी तरह 150 से 200 रुपये रोजाना कमा पा रहे हैं. उन पैसों से घर का खर्च चलाएं या बैंक का ब्याज जमा करें. वहीं, रोजाना 60 रुपये गाड़ी की बैटरी के चार्ज पर खर्च करने पड़ते हैं. हालात काफी गंभीर होते जा रहे हैं.

खाली पड़ा ई-रिक्शा

'लॉक डाउन अवधि का ब्याज माफ हो'
वहीं, दिन दयाल ई रिक्शा चालक संघ के संरक्षक रवि अजगर ने बताया कि ई रिक्शा चालक के सेवक के रूप में दिन रात लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं. लेकिन लॉक डाउन में इन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिल पाई. जिससे इनकी हालात दयनीय होती जा रही है. उन्होंने सरकार से लॉक डाउन अवधि का ब्याज माफ करने की मांग सरकार से की है.

Last Updated : Aug 19, 2020, 5:41 PM IST

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